मंगलवार, 19 जुलाई 2011

प्यार तेरे रंग हज़ार...!४

( गतांक : बड़े इंतज़ार के बाद उसने लिखा," वो लड़का और कोई नहीं,सौगात है......मै केवल एक बार उससे मिलना चाहती हूँ....एक बार अपना दिल खोलके उसके आगे रखना चाहती हूँ.....और कुछ नहीं....लेकिन मुझे नही लगता वो मेरी ये इच्छा भी पूरी करेगा....!"
सौगात! हे भगवान्! ये क्या कह दिया आयुषी ने?? जानते हुए की ,वो अर्चना के प्यार में पूरी तरह  डूबा हुआ है! अब  आगे ..)


आयुषी का जवाब पढके मै उदास-सी हो गयी...क्या करूँ? क्या न करूँ? मेरे पास तो सौग़ात की मेल Id भी नही थी....किससे हासिल करूँ? अर्चना के पास हो सकती है,लेकिन उसे क्या कहूँ?इत्तेफाक़न हमारी जो एक कॉमन सहेली थी,उससे मेरी बात हुई. उसके पास सौग़ात की ID थी! मै थोड़ी ख़ुश हो गयी...

उसने मुझे ये भी कहा," सौग़ात  अर्चना के प्यार में आकंठ डूबा हुआ है...वो किसी औरसे मेल मुलाक़ात करना  चाहेगा,ऐसा मुझे नही लगता!"
बात सच थी! पर कुछ तो करना होगा...आयुषी को मद्दे नज़र रखते हुए! क्या कहूँ सौग़ात से? कैसे कहूँ? क्या वो मुझे जवाब देगा? या अर्चना  को बता देगा? ऐसे में अर्चना क्या महसूस करेगी? उसे आयुषी के बारे में क्या लगेगा? वो दोनों तो आपस में सहेलियों की तरह हैं! सौग़ात को जब कभी मैंने उसके स्क्रैप पे मेसेज भेजा था,उसने अक्सर जवाब देनाटाल दिया था...और जब दिया था,तो बड़ा मायूसी भरा...
मैंने आयुषी से पूछा," सौग़ात से मिलने तुम्हें देहली जाना होगा! गर वो राज़ी हो गया तो तुम जा पाओगी?"
आयुषी ने कहा," हाँ मै चली जाउँगी..."
मैंने बड़ी ही एहतियात बरतते हुए सौग़ात को लिखा," सौग़ात...आयुषी को तुम से बहुत लगाव हो गया है...वो केवल एक बार तुम से मिलना चाहती है...क्या उसकी ये आरज़ू तुम पूरी करोगे? वो देहली आ जायेगी. तुम जहाँ कहोगे वहीँ तुम से मिलेगी....बस, एक बार उससे मिल लो...उसकी तसल्ली के लिए...उसे अपनी दिलकी बात तुम से कह लेने दो....मै तुम से इल्तिजा करती हूँ! मुझे नही पता की,ये सही है या गलत....लेकिन आयुषी के नज़रिए से देखती हूँ,तो गलत भी नही लगता...एक बार मेरी इतनी बात मान जाओ....दिल पर से बहुत बड़ा बोझ उतर जाएगा!"
मै सौग़ात के जवाब का इंतज़ार करने लगी.  मुझे उसका जवाब नही मिला. इस दरमियान मैंने गौर किया की,उसने अपने स्क्रैप पर से अर्चना के मेसेजेस के अलावा हर किसी के मेजेज डिलीट कर दिए थे! मैंने आयुषी को भी मेल लिखी लेकिन उसका भी कोई जवाब नही मिला. दो तीन महीने ऐसे ही बीत गए. अर्चना ने भी इस दौरान मुझसे संपर्क नही किया था.

मै जब कभी rediffconnexions खोलती,मुझे बेहद इंतज़ार रहता....! और एक दिन अचानक rediffconnoxions ने मेरा पास वार्ड एक्सेप्ट करना बंद कर दिया...! मैंने दूसरे पास वार्ड के लिए इल्तिजा भेजी लेकिन कोई असर नही हुआ और मेरी वो ID बंद हो गयी! आयुषी और अर्चना से मेरा हमेशा के लिए संपर्क टूट गया! सौगात के रवय्ये से आयुषी ज़रूर बहुत मायूस  हुई होगी....पर ये दिलकी बातें थीं.....इनपे किसका बस था??सौग़ात पे तो किसी का बस नही था,और नाही आयुषी के दिलपे!
समाप्त

रविवार, 3 जुलाई 2011

प्यार तेरे रंग हज़ार!!3


( गतांक : इन सब बातों के चलते मैंने गौर किया की,आयुषी बड़े दिनों से स्क्रैप पे कुछ लिख नहीं रही है. ना मेरे पूछने पर ही कुछ जवाब दे रही है! इसे क्या हो गया? ये जो मेरे तथा अर्चना के लिए कहती थी," तुम दोनों मेरे लिए दो नायाब रत्न हो....!"कहाँ खो गयी है? .....अब आगे....)
जब भी rediffconnexions पे जाती,मुझे आयुषी की तलाश रहती....पर वो नहीं मिलती. अचानक एक दिन उसका पर्सनल मेसेज बॉक्स में मेल मिला. उसने लिखा था," मेरा जी करता बिस्तर पर लेटी रहूँ .....और यही करती हूँ...लेटे,लेटे छत को निहारती रहती हूँ..."
मैंने तुरंत जवाब दिया," आयुषी ऐसा क्यों? तुम इतनी निराश किसलिए हो?कुछ तो कहो....मुझे तो ये पढके तुम्हारी बहुत अधिक चिंता हो रही है...आखिर क्या चाहती हो जीवन में जो तुम्हें नहीं मिल रहा? ऐसा कौनसा अभाव है जो तुम्हें इतना अधिक खल रहा है?"
उसका जवाब आया," ज़िंदगी में हरेक चीज़ तो हासिल नहीं होती....." 
बस एक पंक्ती....इससे किसी को क्या पता चल सकता था? मैंने दोबारा उसे लिखा, लेकिन इस बार वो फिर गायब हो गयी. कोई जवाब नहीं, कोई प्रतिक्रया नहीं. मै फिर परेशान हो गयी. निराशाजनक  स्थिती क्या होती है,मै अच्छी तरह जानती थी,समझती थी. क्या किया जाये? समझ नहीं पा रही थी...इसे ऐसा क्या दर्द हो सकता है जो बाँट भी नहीं रही....!

" आयुषी! कुछ तो कहो! मुझे नहीं तो किसी अन्य सहेली से कहो....ऐसे कैसे चलेगा! कुछ कहोगी तो जी हल्का होगा! कम से कम जवाब तो दो !"

क्या इसे किसी से प्यार हो गया है और माता पिता राज़ी नहीं रिश्ते को लेके? लडकी कुछ कहती भी तो नहीं!!

इसी दौरान अर्चना तथा  सौगात के स्क्रैप पर से पता चलता रहा की,सौगात  शायद देहली से मुंबई शिफ्ट करनेवाला है.  अर्चना ने लिखा था," तुम्हारा मुंबई आने का बहुत इंतज़ार है. मै अम्मीजान से संगीत सीख सकूंगी". मतलब अर्चना गाती भी थी! किसी और के एक स्क्रैप से पता चला था की वो दिखने में भी बहुत सुन्दर है!

मै आयुषी को लगातार  लिखती रही और एक दिन उसका जवाब आया,"हाँ! मुझे प्यार हो गया है...."
" आयुषी! किससे प्यार हुआ है? कुछ उसके बारे में भी तो लिखो!  और प्यार हुआ है तो इतनी निराश क्यों हो? तुम दोनों के बीछ ऐसी कौनसी बाधा है जो तुम्हें निराश कर रही है?"

बड़े इंतज़ार के बाद आयुषी का जवाब आया," जिसे प्यार करती हूँ,वो मुझे कभी हासिल नहीं हो सकता....."
"आयुषी! ऐसे क्यों कहती हो? "
" ये भी तो हो सकता है की,ये प्यार एकतरफा हो....!"
"क्या उसे पता है की,तुम उसे प्यार करती हो?क्या मै तुम दोनों के बछ किसी बात चीत का सिलसिला बना सकती हूँ?"मैंने पूछा.
" नहीं....उसे नहीं पता.....और तुम भी कुछ नहीं कर सकती..."आयुषी ने लिखा...अब इसका क्या मतलब लूँ मै?
"वो कौन है इतना तो बता सकती हो! फिर मेरी कोशिशों पे छोड़ देना. इतनाही हो सकता है न की,वो मना कर दे. कम से कम ये उलझन की स्थिती से तो वो बेहतर होगा! ये भी हो सकता है की,वो मान जाय! शायद उसके दिलमे भी तुम्हारे लिए कुछ कोमल भावनाएं हों?"
"नहीं...उसके मन में मेरे लिए शायद कोई जगह नहीं...वो किसी और से प्यार करता है...." आयुषी ने लिखा.
ओहो! ये भी क्या पेचीदा मामला हुआ जा रहा था. बताये तो सही ये लडकी एक बार उसका नाम पता. पता तो कराऊँ की,सही में ऐसा है,जैसा वो सोचती है...!
मैंने उससे दोबारा बहुत इसरार करना शुरू किया....!ऐतबार दिलाती रही,की,मै केवल उसका भला चाहती हूँ....इस निराशाजनक स्थिती से उसे उभारना चाहती हूँ.....और कुछ नहीं.
बड़े इंतज़ार के बाद उसने लिखा," वो लड़का और कोई नहीं,सौगात है......मै केवल एक बार उससे मिलना चाहती हूँ....एक बार अपना दिल खोलके उसके आगे रखना चाहती हूँ.....और कुछ नहीं....लेकिन मुझे नही लगता वो मेरी ये इच्छा भी पूरी करेगा....!"
सौगात! हे भगवान्! ये क्या कह दिया आयुषी ने?? जानते हुए की,वो अर्चना के प्यार में पूरी तरह  डूबा हुआ है!

क्रमश: