बुधवार, 11 मई 2011

दीपा 17

( गतांक :मै :" मुझे तो तुम्हारी चिंता हो रही है....सही गलत का निर्णय मै नही करुँगी.....पर तुम्हारी खुशी ज़रूर चाहती हूँ...आख़िर हर रिश्ते का मक़सद तो वही होता है,है ना? उसने अपनी पत्नी से भी यही वादा कभी किया होगा?"
दीपा:" लेकिन मेरा मन कहता है,सब ठीक होगा....हम दोनों कल भी कुछ देर मिलने वालें हैं! मेरा तो उससे पल भर भी अलग होने को जी नही चाहता!"

दीपा और भी बहुत कुछ बताती रही...बहुत उत्तेजित थी....लेकिन उसने मुझे गहरी सोचमे   अवश्य डाल दिया....पता नही,इस रिश्ते का भविष्य क्या था???क्या होगा???
अब आगे.....)
दीपा की सुदर्शन के साथ मुलाकातें चलती रहीं...वो मुझे हर मुलाक़ात का ब्योरा सुनाती....बेहद खुश थी...जब मुलाक़ात नहीं होती तो फोन,sms जारी रहते....sms भी मुझे दिखाती! फोन पे हुई बातचीत दोहराती...

एक दिन दीपा ने सुदर्शन को,उसे मिला एक शादी का प्रस्ताव sms के ज़रिये भेज दिया....दीपा उस समय मेरे घर पे थी. उसने तो मज़ाक़ ही मज़ाक़ में sms भेजा लेकिन सुदर्शन को बेहद ग़ुस्सा आ गया! उसने जवाब में, "अब मुझे तुम से कोई लेना देना नहीं....तुम लौट जाओ अपनी दुनिया में",ये अलफ़ाज़ लिख भेजे! दीपा पूरी रात रोती रही...सुबह बहुत बार माफी माँगी तब सुदर्शन का ग़ुस्सा शांत हुआ! डांटा तो मैंने भी दीपा को:" इस तरह के sms कोई पुरुष बर्दाश्त नहीं करेगा...उसे ईर्षा होगी और परिणामत: ग़ुस्सा आयेगा!"

सुदर्शन दीपा को लेके बहुत possesive   था. वैसे वो दीपा के पूरे परिवार को किसी ना किसी बहाने मिल लिया. उन दोनों की नज़दीकियाँ किस हद तक हैं,ये तो परिवार को नही पता था. 

सुदर्शन और दीपा,दोनों facebook पे हमेशा जाते रहते. दीपा के एक परिचित को सुदर्शन ने डिलीट करवाया. वो व्यक्ती उसे क़तई पसंद नही था,तथा उन दोनों का कुछ व्यक्तिगत पंगा भी था. वो व्यक्ती  property dealer था. इसी चक्कर  में दीपा ने उसे कुछ हफ़्तों बाद दोबारा 'फ्रेंड'स लिस्ट' में add कर दिया....और उसकी ज़िंदगी में कहर  ढाया ! सुदर्शन ने दीपा को ही अपनी लिस्ट से डिलीट कर दिया! 

दीपा ने ये बात मुझे फोन पे बतायी. वो बेहद परेशान हो उठी. सुदर्शन उसका फोन उठाता नही था....दीपा और उस के बीछ केवल sms चल रहा था.....और उस के जवाब भी सुदर्शन बड़ी देर लगा के देता. अब दीपा ने मुझे उससे बात करने के लिए कहा. मैंने फोन मिलाके  कहा," (थोड़ा अनजान बनते हुए): आप दोनों के बीछ मन मुटाव का सही कारण तो मै नही जानती....लेकिन दीपा की हालत मुझ से देखी नही जाते....एक दुसरे से एक बार फोन पे बात क्यों नही कर लेते? शायद उलझन कुछ सुलझ जाये!"
सुदर्शन:" आपको जब मन मुटाव का कारण ही नही पता तो आप सही गलत का फैसला कैसे कर सकतीं हैं?"
मै :" मै सही गलत का फैसला नही करना चाह रही हूँ...मै तो केवल जो भी गलत फहमी आप दोनों के बीछ है,उसे सुलझाने की कोशिश कर रही हूँ! जो भी बात हुई है,उसे लेके दीपा ने आप से कई बार क्षमा माँगी है,इतना तो मै जानती  हूँ.. आप दोनों फोन कर लेंगे तो बातें अधिक साफ़ हो जायेंगी ऐसा मेरा विचार है.....!"
सुदर्शन :" वैसे अब बात करने को कुछ बचा ही नही है...मुझे जिस चीज़ से सख्त नफरत है,वो वही बात करती है....उसे केवल खुद की परवाह है...उसे जो करना है,करे....अब मुझे कुछ सरोकार नही....!"

सुदर्शन की बातें सुन मेरा दिल बैठा जा रहा था फिर भी मैंने संभाषण जारी रखते हुए कहा:" देखिये! आप दोनों में बहुत नज़दीकियाँ थीं/हैं,इतना तो मै जानती हूँ....और कई महीनों से,तो रिश्ता ऐसे एक झटके से टूट तो नही जा सकता....आप सिर्फ एक बार दीपा से बात कर लीजिये,आगे आपकी मर्जी...मै दीपा से तुरंत आपको फोन करनेके वास्ते कहती हूँ...."
इतना कहके मैंने सुदर्शन से बातचीत समाप्त की और दीपा को फोन मिलाया:" दीपा,तुम तुरंत सुदर्शन को फोन करो....वो फोन उठा लेगा."
दीपा:" लेकिन उस ने क्या कहा?"
सुदर्शन ने कही हर बात दोहराने से मेरा जी कतराया...मैंने दीपा से कहा:
" तुम इस समय उससे बात कर लो....बाक़ी बातें बाद में होती रहेंगी."

चंद हफ़्तों पहले ही दीपा नानी बनी थी...सुदर्शन से बात करते हुए उसने उससे कहा:" मै तो अपनी नवासी की ठीक तौर से देख भाल भी नही कर पा रही हूँ...जी उचट गया है...तुम से बार,बार माफी माँग तो रही हूँ....! मुझ से भूल हुई,लेकिन मुझे इस बात का क़तई अंदाज़ा नही था,की,उस व्यक्ती से आप इस हद तक नफरत करते हैं...."
बातें करते हुए दीपा रोये चली जा रही थी. अंत में सुदर्शन ने उससे कहा,:" मै उस बच्ची की ख़ातिर अब के तुम्हें माफ़ किये देता हूँ...वरना नही करता...."

दीपा की जान में जान तो आयी! दीपा सुदर्शन के प्यार के  बिना रह नही सकती ये बात तो मुझे पूरी तरह समझ में आ गयी थी. उन दोनों का रिश्ता समाज की नज़रों में कितना सही या गलत है,इस बात का निर्णय मै नही ले सकती,नाही लेना चाहूँगी...

फिलहाल दोनों के बीछ वही पहले वाला प्यार है.....दीपा की खुशी चाहती हूँ,और वही दुआ करती हूँ...दुआ करती हूँ,की,उसे कोई सदमा न पहुँचे...

समाप्त