सोमवार, 26 नवंबर 2012

उफ़!

ज्यादा कुछ लिखने की अवस्था  में तो नहीं हूँ। कल कौन  बनेगा करोडपति में सोनाली को असली जीवन में देखा . उसके पूर्व क्राइम पेट्रोल में उसके जीवन के नाट्य  रूपांतर को देख चुकी थी। तब भी और अब भी सब से अधिक गुस्सा  उन घिनौने लड़कों के अलावा उनके वकीलों पे आया।  क्यों  ऐसे अपराधियों की वकालत करते हैं वकील? क्या समाज के प्रती उनका कोई दायित्व नहीं? करने दे किसी सरकारी वकील को उनकी तरफदारी! कानून जो कहता है कि  घिनौनेसे घिनौने अपराधी को वकील जो मिलना चाहिए! लानत है उन वकीलों पे जो ऐसे अपराधियों  की पैरवी करते हैं।
लानत है हमारे मुल्क के कानून पे जो ऐसे अपराधियों को बेल  पे छोड़ देता  है। ऐसे में एक पुलिस कर्मी क्या कर सकता है? ऐसे कानून पुलिस का नैतिक धैर्य पूरी तरह से नष्ट कर देते हैं। अपराधी पुलिस के  मूह पे थूंक  के कह देते हैं,कर लो जो करना है!


बुधवार, 7 नवंबर 2012


शुभ कामनाएँ

कभी कभी अनजाने कही बात  सच हो जाती है।   पिछली पोस्ट में मैंने लिख  दिया था कि  शायद अब वो मेरी आखरी पोस्ट होगी और  वही सच होता नज़र आ रहा है।    एक बीमारी से निजात नहीं पाती कि  दो और लग जाती हैं! अब ये हाल है कि  पांच मिनिट भी नेट पे  बैठ पाना   मेरे लिए मुमकिन नही । ब्लॉग जगत से तकरीबन कट-सी गयी हूँ।
खैर!  ये भी नहीं मालूम,कि  इस पोस्ट को पढ़ेगा भी या नहीं!  मै   ख़ुद जो टिप्पणियां दे  नहीं पाती    हूँ।
 
दीवाली की अनेक शुभ कामनाएँ !