पूर्व भाग..अजीबोगरीब मानसिक तथा शारीरिक तकलीफोंसे गुज़रती रही पूजा. उसके ब्याह को छ: माह हो गए और उसके पिता उसे मायके लेने आए.अब आगे ओ पढ़ें:
पूजा मायके पहुँची तो बेहद खामोश रहने लगी. वो क़तई नही चाहती थी की, उसके मायके वाले उसकी पीड़ा जान सकें. उसके दादा जी को शंका आती रही की सबकुछ ठीक नही है,लेकिन पूजा उन्हें हरबार खामोश कर देती. अपने कमरेमे बंद पडी पूजा को वे बाहर निकालना चाहते तो और उसकी खामोशी की वजह पूछते तो पूजा कह बैठती:
"कुछ भी तो नही..! आप क्यों खामखा परेशान होते हैं? मुझे अपने घर नींद कम मिलती है,इसलिए यहाँ सोती रहती हूँ !"
दादा जी छोटा -सा मूह लेके परे हो जाते. एक माह रुक पूजा अपने ससुराल लौट गयी. बेहद अंतर्मुखी हो गयी थी. सफ़र के दौरान उसने प्रण कर लिया की, चाहे जो हो जाय,वो अपने घरवालों का रवैय्या बदल के रहेगी...! हर मुमकिन कोशिश करेगी की, उनके चेहरों पे मुस्कान रहे..लेकिन ये उसकी क़िस्मत में नही था..
पती को लगता की, वो अगर घरवालों का साथ देते हुए उसे अपमानित न करेगा तो बीबी का गुलाम कहलायेगा! घरवाले उसे नीचा दिखानेका या अपमानित करनेका एक भी मौक़ा छोड़ते नही थे! पूजा अकेली पड़ती गयी...! उसके मनमे आता,की, गर उसका साथ नही देना था तो गौरव ने उसके साथ ब्याह किया ही क्यों?
पूजा एक अजीब-सी उदासी में घिर गयी. ऐसे में उसके फिर एकबार पैर भारी हो गए. दिवाली आने वाली थी...और उसकी माँ तथा बहन पहुँच गए. ! पूजा को फिर से रक्त स्त्राव शुरू हो गया और बिस्तरमे रहने की हिदायत दी गयी.
माँ और छोटी बहन के आँखों से पूजा की स्थती छुपाई न जा सकी. माँ को हालात देख बेहद सदमा पहुँचा. घरवालों ने माँ को भी कई बार बातों ही बातों में ज़लील किया. इन सब बातों के चलते पूजा का दोबारा गर्भपात हो गया. इस बार डॉक्टर तो दूसरी थी लेकिन उसने बच्चे का लिंग घरवालों को बता दिया. पहली बार भी लड़का था. कौन जनता था की, इन बातों का कितना दूरगामी असर होगा?
अस्पताल से पूजा जब घर आयी तो दर्द में थी. पिछले कुछ दिनों से बिस्तर में रहने के कारण कपडे आदी धो न सकी थी. सास ने उसे बुला के कपड़ों का ढेर आगे रख दिया और कहा," इन्हें पहले दो लो फिर आराम की सोचना. "
पूजाकी माँ:" मै धो देती हूँ...इसे दर्द हो रहा है..."
सास:" अजी ऐसे दर्द बतेरे देख रखे हैं..ये कौन बच्चा पैदा करके आयी है...आप हमारे घरके मामलों में दखल ना दें..इसे ज्यादा नज़ाक़त दिखाने की ज़रुरत नही है..!"
माँ खामोश रह गयी. छुपके आँसू बहाने के अलावा उनके पास अन्य चारा नही था. गौरव भी हर चीज़ खुली आँखों से देखता रहा. माँ तथा बहन के रहते ऐसी अन्य कई बाते हुई जो माँ और बहन के आगे पूजा की ज़िंदगी खुली किताब की तरह दिखा गयीं..ये तो भविष्य की एक झलक थी.
क्रमश:
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16 टिप्पणियां:
naari ka hi naari ke prati aesa bartav sabse taklifdeh hota hai ,jo peeda ko behtar samajh sakti hai wahi karan banti hai dard ki ,ati sundar ,marmik katha .
Poor Pooja! Why is life so painful for her????
सास का व्यवहार सुन मन वितृष्णा से भर गया...कैसे कैसे अमानवीय लोग हैं...जारी रहिये, पढ़ रहे हैं.
Namaskar aur nav varsha ki Shubhkamnay. Aaj phir yeh kahani padi . Achaa laga. Rochakta jagi rehti hai , AAge kya hoga. Agli kadi ka Intezar rahega.
sundar hai !
पूजा की जिंदगी में सुख के क्षण कब आयेंगे...
और अब आप कैसी हैं? कई बार उलझ जाता हूँ कि "तबियत अब कैसी है?" पूजा से पूछूँ कि क्षमा से...??
flawless continuation!
aafreen
surender!
सास:" अजी ऐसे दर्द बतेरे देख रखे हैं..ये कौन बच्चा पैदा करके आयी है...आप हमारे घरके मामलों में दखल ना दें..इसे ज्यादा नज़ाक़त दिखने की ज़रुरत नही है..!"
पूजा की ज़िंदगी खुली किताब की तरह दिखा गयीं
सच का दर्श कराती शास्वत रचना.
ह्रदय पुष्प पर आने और अपनी प्रातक्रिया जताने के लिए आभार और धन्यवाद्, मैं गद्य ज्यादा नहीं पढता. क्या में आपके बारे में जान सकता हूँ? यह कोई प्रातक्रिया या टिप्पणी नहीं है इसलिए कृपया इसे हटा दें (delete) कर दें.
आपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति की शुभकामनायें!
अच्छा लगा आपका पोस्ट!
..ये तो भविष्य की एक झलक थी.
क्रमश:.....
...... सुंदर पोस्ट है ,बधाई.
पूजा के जीवन में आने वाले दर्द को कोई महसूस क्यों न्ही कर रहा ...... गौरव क्या कोई कठपुतली बना रहेगा ........ आयेज की कड़ी की प्रतीक्षा रहेगी .......
बहुत दर्दनाक कहानी है अंजाम अच्छा कीजिएगा!!!
आपको और आपके परिवार को वसंत पंचमी और सरस्वती पूजन की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत ही कटु सत्य के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
बेहद मार्मिक, लेकिन बहुत बडी सच्चाई भी. ऐसे अनेक घर आज भी मौजूद हैं जहां पूजा की सास जैसी सासें हैं.
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