सोमवार, 11 अप्रैल 2011

दीपा 14

( गतांक : प्रसाद तो पूरी तरह से उसके प्यार में डूब गया था. उसके हर ख़त में," मै तुमसे बेहद प्यार करता हूँ," ये वाक्य कुछ नहीं तो दस बार होता! प्रसाद अहमदाबाद का बाशिंदा था. अंत में दीपा ने अहमदाबाद जाके उससे मिलने का फैसला किया और वो गयी. वो खुद अब किसी किशोरी की तरह उसे मिलने के लिए बेताब हो उठी थी.
अब आगे....)
दीपा प्रसाद से मिलने अहमदाबाद गयी.लेकिन जिस दिन लौटना था,उसके एक दिन पहलेही,मतलब उसी रोज़ वापसी के लिए चल दी. प्रसाद को जामनगर में अचानक कुछ काम आन पडा था.

प्रसाद ने दीपा से भेंट करने के लिए एक फार्म हाउस  बुक किया था. दीपा बस से पहुँची. प्रसाद ने उसे बाहों में भर लिया. उन दोनों ने अपनी चंद तस्वीरें उतारी.थकी  मांदी दीपा उसी कमरे में कुछ देर सो गयी. उठी तो प्रसाद ने कहा," सोते हुए तुम किसी छोटी बच्ची की तरह भोली भाली लग रही थीं!"

दीपा बहुत खुश होके लौटी. लौटने के अगले ही दिन मुझ से मिली. तसवीरें बताईं! मैंने दीपा को इतना खुश पहले कभी नहीं देखा था! मेरे सामने ही उसने प्रसाद से बात चीत भी की. मन ही मन मै दीपा के लिए बहुत खुश हो रही थी! उसे वो मीत मिल गया था,जिसकी ताउम्र  उसे तलाश रही थी!

दीपा उस समय मेरे घर तीन चार रोज़ रुक गयी. प्रसाद  के फोन sms ,मेल्स आदि जारी थे! चंद दिनों बाद दीपा घर लौट गयी.हम जब कभी फोन पे बात करते,वो मुझे प्रसाद की सारी खबर सुनाती. एक दिन देर रात बातें करते हुए उसने कहा," पता नहीं क्यों प्रसाद  ने ना तो मेल का जवाब दिया,ना मिस कॉल का,नाही sms का! आज तीन दिन हो गए! ऐसा तो पहले कभी नहीं हुआ था!"

कुछ दिन और बीते....दीपा बेक़रार हो गयी...फिर अचानक से एक दिन प्रसाद का फोन आ गया! दीपा फिर से खिल गयी! लेकिन उस दिन के बाद वो फिर गायब हो गया! और अब के तो बहुत दिन बीत गए! मुझे दीपा को लेकर चिंता होने लगी. पिछली बार तो प्रसाद ने  बहुत माफी माँगी थी...अपनी व्यस्तता बताई थी,और आश्वासन दिया था,की, फिर से ऐसा नहीं होगा! और इसी तरह सप्ताह के बाद सप्ताह बीतते गए....
क्रमश:


11 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

धारावाहिक बहत बढ़िया चल रहा है!

रचना दीक्षित ने कहा…

कहानी में फिर से ट्विस्ट. बढ़िया चल रही है कहानी.

दीपक 'मशाल' ने कहा…

कहीं ये एक और धोखे की शुरुआत तो नहीं???????

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

भरोसा और धोखा, विश्वास और चोट,प्यार और तिरस्कार... बेचारी दीपा!

उम्मतें ने कहा…

या तो मर्द अवसरवादी होते हैं या फिर नायिका के दुर्भाग्य पर विश्वास करना पडेगा !

Kunwar Kusumesh ने कहा…

धारावाहिक बहत बढ़िया .
रामनवमी की हार्दिक शुभकामनायें.

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

bahut dino se aaya nahi tha...isliye peechhe jana para...shandaar:)

रवि कुमार ने कहा…

बेहतर...

ZEAL ने कहा…

Let's see how the things will take shape. I'm worried about Deepa. She probably doesn't have much peace and happiness in her fate.

अभिषेक मिश्र ने कहा…

अगली कड़ी की प्रतिक्षा है.

pragya ने कहा…

काफी दिनों बाद आज ब्लॉग पर आ पाई..आते ही 'दीपा' को पढ़ा...