( गतांक : इन सब बातों के चलते मैंने गौर किया की,आयुषी बड़े दिनों से स्क्रैप पे कुछ लिख नहीं रही है. ना मेरे पूछने पर ही कुछ जवाब दे रही है! इसे क्या हो गया? ये जो मेरे तथा अर्चना के लिए कहती थी," तुम दोनों मेरे लिए दो नायाब रत्न हो....!"कहाँ खो गयी है? .....अब आगे....)
जब भी rediffconnexions पे जाती,मुझे आयुषी की तलाश रहती....पर वो नहीं मिलती. अचानक एक दिन उसका पर्सनल मेसेज बॉक्स में मेल मिला. उसने लिखा था," मेरा जी करता बिस्तर पर लेटी रहूँ .....और यही करती हूँ...लेटे,लेटे छत को निहारती रहती हूँ..."
मैंने तुरंत जवाब दिया," आयुषी ऐसा क्यों? तुम इतनी निराश किसलिए हो?कुछ तो कहो....मुझे तो ये पढके तुम्हारी बहुत अधिक चिंता हो रही है...आखिर क्या चाहती हो जीवन में जो तुम्हें नहीं मिल रहा? ऐसा कौनसा अभाव है जो तुम्हें इतना अधिक खल रहा है?"
उसका जवाब आया," ज़िंदगी में हरेक चीज़ तो हासिल नहीं होती....."
बस एक पंक्ती....इससे किसी को क्या पता चल सकता था? मैंने दोबारा उसे लिखा, लेकिन इस बार वो फिर गायब हो गयी. कोई जवाब नहीं, कोई प्रतिक्रया नहीं. मै फिर परेशान हो गयी. निराशाजनक स्थिती क्या होती है,मै अच्छी तरह जानती थी,समझती थी. क्या किया जाये? समझ नहीं पा रही थी...इसे ऐसा क्या दर्द हो सकता है जो बाँट भी नहीं रही....!
" आयुषी! कुछ तो कहो! मुझे नहीं तो किसी अन्य सहेली से कहो....ऐसे कैसे चलेगा! कुछ कहोगी तो जी हल्का होगा! कम से कम जवाब तो दो !"
क्या इसे किसी से प्यार हो गया है और माता पिता राज़ी नहीं रिश्ते को लेके? लडकी कुछ कहती भी तो नहीं!!
इसी दौरान अर्चना तथा सौगात के स्क्रैप पर से पता चलता रहा की,सौगात शायद देहली से मुंबई शिफ्ट करनेवाला है. अर्चना ने लिखा था," तुम्हारा मुंबई आने का बहुत इंतज़ार है. मै अम्मीजान से संगीत सीख सकूंगी". मतलब अर्चना गाती भी थी! किसी और के एक स्क्रैप से पता चला था की वो दिखने में भी बहुत सुन्दर है!
मै आयुषी को लगातार लिखती रही और एक दिन उसका जवाब आया,"हाँ! मुझे प्यार हो गया है...."
" आयुषी! किससे प्यार हुआ है? कुछ उसके बारे में भी तो लिखो! और प्यार हुआ है तो इतनी निराश क्यों हो? तुम दोनों के बीछ ऐसी कौनसी बाधा है जो तुम्हें निराश कर रही है?"
बड़े इंतज़ार के बाद आयुषी का जवाब आया," जिसे प्यार करती हूँ,वो मुझे कभी हासिल नहीं हो सकता....."
"आयुषी! ऐसे क्यों कहती हो? "
" ये भी तो हो सकता है की,ये प्यार एकतरफा हो....!"
"क्या उसे पता है की,तुम उसे प्यार करती हो?क्या मै तुम दोनों के बछ किसी बात चीत का सिलसिला बना सकती हूँ?"मैंने पूछा.
" नहीं....उसे नहीं पता.....और तुम भी कुछ नहीं कर सकती..."आयुषी ने लिखा...अब इसका क्या मतलब लूँ मै?
"वो कौन है इतना तो बता सकती हो! फिर मेरी कोशिशों पे छोड़ देना. इतनाही हो सकता है न की,वो मना कर दे. कम से कम ये उलझन की स्थिती से तो वो बेहतर होगा! ये भी हो सकता है की,वो मान जाय! शायद उसके दिलमे भी तुम्हारे लिए कुछ कोमल भावनाएं हों?"
"नहीं...उसके मन में मेरे लिए शायद कोई जगह नहीं...वो किसी और से प्यार करता है...." आयुषी ने लिखा.
ओहो! ये भी क्या पेचीदा मामला हुआ जा रहा था. बताये तो सही ये लडकी एक बार उसका नाम पता. पता तो कराऊँ की,सही में ऐसा है,जैसा वो सोचती है...!
मैंने उससे दोबारा बहुत इसरार करना शुरू किया....!ऐतबार दिलाती रही,की,मै केवल उसका भला चाहती हूँ....इस निराशाजनक स्थिती से उसे उभारना चाहती हूँ.....और कुछ नहीं.
बड़े इंतज़ार के बाद उसने लिखा," वो लड़का और कोई नहीं,सौगात है......मै केवल एक बार उससे मिलना चाहती हूँ....एक बार अपना दिल खोलके उसके आगे रखना चाहती हूँ.....और कुछ नहीं....लेकिन मुझे नही लगता वो मेरी ये इच्छा भी पूरी करेगा....!"
सौगात! हे भगवान्! ये क्या कह दिया आयुषी ने?? जानते हुए की,वो अर्चना के प्यार में पूरी तरह डूबा हुआ है!
क्रमश:
" आयुषी! कुछ तो कहो! मुझे नहीं तो किसी अन्य सहेली से कहो....ऐसे कैसे चलेगा! कुछ कहोगी तो जी हल्का होगा! कम से कम जवाब तो दो !"
क्या इसे किसी से प्यार हो गया है और माता पिता राज़ी नहीं रिश्ते को लेके? लडकी कुछ कहती भी तो नहीं!!
इसी दौरान अर्चना तथा सौगात के स्क्रैप पर से पता चलता रहा की,सौगात शायद देहली से मुंबई शिफ्ट करनेवाला है. अर्चना ने लिखा था," तुम्हारा मुंबई आने का बहुत इंतज़ार है. मै अम्मीजान से संगीत सीख सकूंगी". मतलब अर्चना गाती भी थी! किसी और के एक स्क्रैप से पता चला था की वो दिखने में भी बहुत सुन्दर है!
मै आयुषी को लगातार लिखती रही और एक दिन उसका जवाब आया,"हाँ! मुझे प्यार हो गया है...."
" आयुषी! किससे प्यार हुआ है? कुछ उसके बारे में भी तो लिखो! और प्यार हुआ है तो इतनी निराश क्यों हो? तुम दोनों के बीछ ऐसी कौनसी बाधा है जो तुम्हें निराश कर रही है?"
बड़े इंतज़ार के बाद आयुषी का जवाब आया," जिसे प्यार करती हूँ,वो मुझे कभी हासिल नहीं हो सकता....."
"आयुषी! ऐसे क्यों कहती हो? "
" ये भी तो हो सकता है की,ये प्यार एकतरफा हो....!"
"क्या उसे पता है की,तुम उसे प्यार करती हो?क्या मै तुम दोनों के बछ किसी बात चीत का सिलसिला बना सकती हूँ?"मैंने पूछा.
" नहीं....उसे नहीं पता.....और तुम भी कुछ नहीं कर सकती..."आयुषी ने लिखा...अब इसका क्या मतलब लूँ मै?
"वो कौन है इतना तो बता सकती हो! फिर मेरी कोशिशों पे छोड़ देना. इतनाही हो सकता है न की,वो मना कर दे. कम से कम ये उलझन की स्थिती से तो वो बेहतर होगा! ये भी हो सकता है की,वो मान जाय! शायद उसके दिलमे भी तुम्हारे लिए कुछ कोमल भावनाएं हों?"
"नहीं...उसके मन में मेरे लिए शायद कोई जगह नहीं...वो किसी और से प्यार करता है...." आयुषी ने लिखा.
ओहो! ये भी क्या पेचीदा मामला हुआ जा रहा था. बताये तो सही ये लडकी एक बार उसका नाम पता. पता तो कराऊँ की,सही में ऐसा है,जैसा वो सोचती है...!
मैंने उससे दोबारा बहुत इसरार करना शुरू किया....!ऐतबार दिलाती रही,की,मै केवल उसका भला चाहती हूँ....इस निराशाजनक स्थिती से उसे उभारना चाहती हूँ.....और कुछ नहीं.
बड़े इंतज़ार के बाद उसने लिखा," वो लड़का और कोई नहीं,सौगात है......मै केवल एक बार उससे मिलना चाहती हूँ....एक बार अपना दिल खोलके उसके आगे रखना चाहती हूँ.....और कुछ नहीं....लेकिन मुझे नही लगता वो मेरी ये इच्छा भी पूरी करेगा....!"
सौगात! हे भगवान्! ये क्या कह दिया आयुषी ने?? जानते हुए की,वो अर्चना के प्यार में पूरी तरह डूबा हुआ है!
क्रमश:
17 टिप्पणियां:
bahut ruchikar hai aapki prastuti.kab poori hogi jaldi jaldi prastut kijiye.
dil kuch aisa hi hota hai na chahte hue bhi,kisi par bhi aa sakta hai....ab is trikond ka solution bhi aap hi ko batana hai...intezaar mein?????
प्रेम कहानी बिना किसी त्रिकोण के आगे क्यों नहीं बढ़ पाती... अब ज़ाहिर सी बात है इस त्रिकोण में भी कोइ दो ही मिल पाएगा या फिर कोइ न मिल पाए... सब के सब अलगाव की, विरह की तक पहुँच जाएँ... अब ये जवाब तो आगे की मालिकाओं में ही मिले पाएंगे!!
(पोस्ट के समाप्त होने के बाद बहुत सी खाली जगह रह गयी है, उसको डिलीट कर दें)
ये प्यार भी क्या चीज है ।
hmmm...
interesting ...magar aise prem trikon kahi ka nahi chhodte ...
पूरी कहानी पढ़ कर फिर आता हूँ.
कहानी के तीनों रंग मैंने पढ़ लिए ,कहानी रोचक हो गयी है,आगे का इन्तजार है.वैसे भी कथा लेखन में आप निपुण हैं.
काफ़ी दिनों से आना नहीं हो रहा था...
देर आयद...दुरस्त आयद
काफी दिनों से गुम था सो आज इस कथा के तीनों अंक एक साथ पढ़े !
आपकी कहानियों में प्रेम के रंग कुछ अलग ही तरह से निखरते हैं ! मैं अक्सर सोचता हूं कि दुनिया में कौन सा शख्स मुकम्मल और सौ फीसदी खुश है और कौन ऐसा जिसे किसी भी लम्हा प्यार ना हो जाए ! भला अहसास को होने से पहले आगे पीछे का ख्याल क्या ?
प्रेम त्रिकोण / विवाहेतर प्रेम , वगैरह वगैरह हो गया है ये तो बाद में ही पता चलेगा ना ! ये कथा आगे क्या रुख अख्तियार करती है ? मुझे पता नहीं पर प्रेम को नफरतों / दुखों / रंजिशों पे बढ़त हासिल हो ये दुआ करता हूं !
sunder aur rochak kahani*****
उफ्फ ये प्यार की बातें और ये कम्बख्त त्रिकोण!! आधुनिक मयावी दुनिया तो इस त्रिकोण से भी आगे है.. लेकिन ये त्रिकोण.... न जाने कब सीधी रेखा में सिलवटें सी उभर आती हैं..
दिनों बाद इधर आया. पढता गया.प्यार तो ज़िंदगी है लेकिन क्या सिर्फ पाना ही! अत्यंत प्रभावी पोस्ट!
हमज़बान की नयी पोस्ट मेन इटर बन गया शिवभक्त फुर्सत हो तो पढें
बहुत ख़ूबसूरत, दिलचस्प और रोचक कहानी! प्यार का अंजाम क्या होता है उसके लिए तो अब इंतज़ार करना पड़ेगा !
jari rakhiye !!
रोचक एवं परिणाम के प्रति उत्सुकता बढाने वाली कहानी ...अति सुन्दर ..!!
वो लड़का और कोई नहीं,सौगात है......मै केवल एक बार उससे मिलना चाहती हूँ....एक बार अपना दिल खोलके उसके आगे रखना चाहती हूँ.....और कुछ नहीं....लेकिन मुझे नही लगता वो मेरी ये इच्छा भी पूरी करेगा....!"
सौगात! हे भगवान्! ये क्या कह दिया आयुषी ने?? जानते हुए की,वो अर्चना के प्यार में पूरी तरह डूबा हुआ है!
Ek sarthak duvidha ka nirman apne kiya hai....
mere blog mein nirantar aa aa kar mujhe protsahit kane ka bahut bahut shukriya....
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