पिछले भाग में पढ़ा :मकान मालकिन चाभी ले गयी, और पूजा पर गौरव औरभी गरज पडा..पूजा से बोला ना गया..बोलती भी तो उसकी कौन सुनता? उसने अपनी सास तथा जेठानी के मुखपे एक कुटिल -सी मुस्कान देखी.
और फिर इसतरह के वाक़यात का एक सिलसिला-सा बनता गया..
अब आगे:
पूजा इन हालातों में अपने आपको बेहद अकेला महसूस करने लगी...पलकों पे आँसूं तैरते रहते और वो उन्हें अन्दर ही अन्दर पी जाती..किसे कहे..किसे सुनाये..जिसके साथ वो दो बातें प्यारकी करना चाहती, जिससे दो बातें प्यारकी सुनना चाहती, वो बडाही बेदर्द निकला...पूजा को विश्वास नही होता की,गौरव इस तरह का बर्ताव करेगा...दिन गुज़रते रहे..वो मुरझा-सी गयी...
ब्याह को तीन माह होने आए और उसके पैर भारी हो गए...एक अतीव आनंद उसके मनमे समाया...खुदके माँ बन्ने से अधिक उसे इस बात की खुशी हुई, की, उसकी माँ नानी बनेगी..उसकी दादी परनानी बनेगी...वो लोग कितने ख़ुश होंगे...और खुशी का ज़रिया उनकी लाडली पूजा तमन्ना होगी..लेकिन विधीका विधान कुछ और था...उसे रक्त स्त्राव शुरू हो गया, और गर्भ पात हो गया..उसके मनमे आया,काश, उसने अपने नैहर ख़त न लिखा होता..! उसके पीहर में सब कितने निराश हो जायेंगे जब ये खबर सुनेंगे!.सभी को पूजा की चिंता होगी..की उसका स्वस्थ तो ठीक है...
जब पूजा को ऑपरेशन के लिए ले गए तो उसे लोकल अनेस्थेशिया देने का भी उस महानगर के doctors को ध्यान नही रहा...जैसे साग सब्ज़ी काटनी हो उस तरह से वो ऑपरेशन कर दिया गया..पूजा चींख चींख के कहती रही,की, उसे बेहद दर्द है, और डॉक्टर ने डांट दिया," इतना दर्द तो सहनाही पडेगा..."
इतना अमानवीय बर्ताव उसने कहीँ न देखा था ना सुना था..! जब कमरेमे आयी तो पीली फक्क पड़ गयी थी..गर उसके दादी दादा उसकी ये हालत देखते तो उनपे क्या गुज़रती?
गौरव का उसके साथ बर्ताव उन्हें कितना दर्द पहुँचाता? उसने क्या करना चाहिए? चुपचाप सहना चाहिए या....?गौरव और उसके परिवारवालों को समय देना चाहिए? फिलहाल उसे चुपही रहना चाहिए...नैहर में कुछ नही बताना चाहिए,उसके मनने उसे गवाही दी...किसे पता था,की, इतनी कोमल लडकी शारीरिक मानसिक दर्द का ऐसा सैलाब थाम सकती थी?
ब्याह के छ: माह बाद उसे अपने नैहर जाने का मौक़ा मिला..उसके पिता उसे लेने आए..
क्रमश:
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14 टिप्पणियां:
बेहद भावुक कहानी..पूजा एक सीधी सादी मासूम लड़की ने दुखों का इतना बड़ा सैलाब झेला..और फिर भी उसके दुख कम नही हो रहे है..गौरव और परिवार वालों का साथ न मिलना और भी दुखद...मायके जाने के बाद क्या हुआ पूजा कीं कहानी में आयेज क्या है..इंतज़ार रहेगा..बहुत बढ़िया लगी आपकी यह प्रस्तुति...बधाई
doctor to bhagwaan ki tarah hote hai ,unhe to mareej ki taklif door karni w samjhni chahiye ,
pooja to anokhi hai ,jise apne dard me bhi doosaro ki taklife pareshaan karti rahi ,
ek bol uth rahe hai man me ---
kya dard kisi ka lega koi ,
itna to kisi me dard nahi ..........
तकलीफ़देह....मगर गौरव ऐसा अमानवीय व्यवहार क्यों कर रहा था?
कहानी में छिपे दर्द को बहुत मार्मिक तरीके से रखा है आपने ........ इंतेहा है दर्द की .......
बहुत प्रवाहमयी..आगे इन्तजार है//
felt very sad on reading. Such a tragedy that a person whose birth was celebrated was so unloved later on. but then very few women are able to get the same love and affection which they get in their parental home in their marital home too.
कुछ समझ में नहीं आ रहा कि क्या लिखूँ। सबकुछ पूजा के साथ इस तरह से बीतना....
अगली कड़ी का इंतजार है।
Poor Pooja! Why a person has to bear so much of pain?? Why is this world so cruel?
Waiting for the next episode----
इसका पहला भाग बहुत दिन पहले पढा था फिर ८-१० दिन मै खुद ही फ्लू से परेशान रही । आगे की खहानी पढी पूजा (तमन्ना) के दर्द से दिल भर आया । गौरव ने उसके साथ शादी ही क्यूं की जब उसे प्रेम से रहना ही नही था । अगली कडी का इंतज़ार है । आशा है अब आपका स्वास्थ्य ठीक होगा ।
Wish you and all the readers of this blog a very Happy New Year 2010!
जब पूजा को ऑपरेशन के लिए ले गए तो उसे लोकल अनेस्थेशिया देने का भी उस महानगर के doctors को ध्यान नही रहा...जैसे साग सब्ज़ी काटनी हो उस तरह से वो ऑपरेशन कर दिया गया..पूजा चींख चींख के कहती रही,की, उसे बेहद दर्द है, और डॉक्टर ने डांट दिया," इतना दर्द तो सहनाही पडेगा..."
सारे अत्याचार स्त्रियों पर ही क्यों......?
bahut badiya
आपको और आपके परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत बढ़िया लिखा है आपने!
shama ji
aaj pahli baar aapki ye kahaani padh rahi hun ab tak is kadi tak sari padh li ek hi baar mein aur uthne ka dil nhi kar raha lag raha hai jab tak poori na padh lun chain nahi aayega.
itne dard koi kaise sah sakta hai...........is waqt aankehin nam hain ...........jyada kah nahi paunti magar dard ko samajh rahi hun aur mahsoos bhi kar rahihun.
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