(पूर्व भाग :वो दिनभी आया जब बिटिया को स्कूल जाना था....उन्हीं दिनों बिटिया ने अनजाने ही अपनी माँ को एक यादगार तोहफा दिया...जिसकी क़द्र बरसों बाद पूजा को हुई...उस का एहसास हुआ,की, वो तोहफा कितना नायाब था...अब आगे पढ़ें)
केतकी ३ साल की हुई तो स्कूल जाने लग गयी. एक दिन स्कूल से फोन आया की, वापसी पे स्कूल बस बिना उसे लिए निकल गयी है...पूजा जल्दी जल्दी स्कूल पहुँची...बच्ची को दफ्तर में बिठाया गया था..उसके गाल पे एक आँसू लटका हुआ पूजा को नज़र आया...उसने धीरेसे उसे अपनी तर्जनी से पोंछ दिया और बच्ची को गले लगा लिया..
माँ ने वो एक बूँद पोंछी तो बिटिया बोल उठी: " मुझे डर लगा,तुम्हें आने में देर होगी,तो, पता नही कहीँ से ये पानी मेरे गालपे आ गया..!"
बरसों बाद जब पूजा को ये वाक़या याद आया,तो लगा, काश वो उस एक बूँद को मोती में तब्दील कर एक डिबियामे संजो के रख सकती...बिटिया से मिला वो एक बेहतरीन तोहफा था...क्या हालात हुए,जो पूजा को ऐसा महसूस हुआ? अभी तो उस तक आने में समय है...इंतज़ार करना होगा...!
दिन बीतते गए...गौरव के तबादलों के साथ बच्चों के स्कूल बदलते गए...पूजा में हर किस्म का हुनर था..उसने कभी पाक कला के वर्ग लिए तो कभी बागवानी सिखाई...कमाने लगी तो उसमे थोडा आत्म विश्वास जागा..बच्चों का भविष्य, उनकी पढ़ाई...खासकर बिटियाकी, मद्देनज़र रखते हुए, उसने पैसों की बचत करना शुरू कर दी...हर महीने वो थोडा-सा सोना खरीद के रख लेती...गुज़रते वक़्त के साथ पूजा का यह क़दम बेहतरीन साबित हुआ..
एक और बात पूजा को ता-उम्र याद रहेगी...बिटिया ५/६ सालकी थी...बहुत तेज़ बुखार से बीमार पडी..रोज़ सुबह शाम इंजेक्शन लगते...जब डॉक्टर आते तो वो उनसे कहती,: " अंकल, माँ को बोलो दूसरी तरफ देखे..उसे बोलो, मुझे बिलकुल दर्द नही होता..माँ! आँखें बंद करो या दरवाज़े के बाहर देखो तो..."
पूजा की आँख भर आती...!
जब बच्ची कुछ ठीक हुई तो उसने अपनी माँ से एक कागज़ तथा पेन्सिल माँगी...और अपनी माँ पे एक नायाब निबंध लिख डाला..." जब मै बीमार थी तो माँ मुझे बड़ा गन्दा खाना खिलती थी..लेकिन तभी तो मै अच्छी हो पायी..वो रोज़ गरम पानी और साबुनसे मेरा बदन पोंछती...मुझे खुशबूदार पावडर लगती...बालों में हलके हलके तेल लगाके, धीरे, धीरे मेरे बाल काढ़ती...." ऐसा और बहुत लिखा...पूजा ने वो नायाब प्रशस्ती पत्रक उसकी टीचर को पढ़ने दिया...जो खो गया..बड़ा अफ़सोस हुआ पूजा को...
और दिन बीतते गए....बच्चे समझदार और सयाने होते गए...
क्रमश:
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21 टिप्पणियां:
bahut sunder chal rahee hai kahanee.ab agalee kadee ka intzar hai.
सोप ओपेरा के तरह चल रही है आपकी कहानी ... दिलचस्प ....
agli kadi ka intzaar...........
इस कथामाला को शुरू से पढना होगा. समय निकालना होगा.
very nice!!
इंतज़ार रहेगा,अगले कड़ी की
विकास पाण्डेय
www.विचारो का दर्पण.blogspot.com
Puja is exemplary. love her spirit
बहुत ही सुन्दरता से आपने प्रस्तुत किया है! बढ़िया लगा! अब तो अगली कड़ी का बेसब्री से इंतज़ार है!
बहुत ही सुन्दरता से व्यक्त प्रस्तुति,अगली कड़ी की प्रतीक्षा में ।
बिटिया के बहाने ज़िन्दगी की कथा..जो लगभग हर किसी की भावनाओं को निकट से स्पर्श कर रही है.
आपकी कहानी से बीच से जुडा हूँ, लेकिन कथा सूत्र हाथ में आता जा रहा है...समय निकालकर पिछ्ले अंकों को पढकर update कर लूँगा...अगली (हिंदी वाला, अंगरेज़ी का नहीं..) कडी की प्रतीक्षा रहेगी..
pahaili baar aapki kahani pdhi, jo dil ke bahut kareeb lagati hai . mann beti ka rishta aisa he hota hai
ab agali kadi ka dil se intajar rahega.
poonam
blog par aapke ashirwad ke liye abhari hoon. bhavishya me bhi margdarshan ki ichchha rakhta hoon.
pun: dhanywad
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
yeh kadi achi lagi. shubhkamnay...
बरसों बाद जब पूजा को ये वाक़या याद आया,तो लगा, काश वो उस एक बूँद को मोती में तब्दील कर एक डिबियामे संजो के रख सकती...बिटिया से मिला वो एक बेहतरीन तोहफा था
kaash aesa hota baat man ko behad chhoo gayi .sundar kahani ,jaise jaise badh rahi ruchi bhi badh rahi isme .
शुक्रिया ,
देर से आने के लिए माज़रत चाहती हूँ ,
उम्दा पोस्ट .
शुक्रिया ,
देर से आने के लिए माज़रत चाहती हूँ ,
उम्दा पोस्ट .
Very touching post!
The letter written by the child had touched my heart.
Best wishes. :)
केतकी के आँसू सहेज कर रखने वाली बात मन को छू गयी...
जाने क्या है आगे तमन्ना के भविष्य में।
खूबसूरत, बेहद खूबसूरत भाव लिए हुई है ये पोस्ट |
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