बड़े दिनों से सोच रही थी,दीपा के बारे में लिखने का. एक और गुत्थियोंवाली ज़िंदगी...जिसकी गुत्थियाँ सुलझाते हुए पेश करने की चाहत है.
दीपासे परिचय हुए ज्यादा समय नही हुआ. लेकिन अंतरंगता बहुत तेज़ी से बढ़ गयी. दीपा अभिनेत्री है. वैसे उसे नाटकों में काम करने का अधिक अनुभव रहा. मेरे घर पे एक छोटी फिल्म की शूटिंग होनेवाली थी. उसमे दीपा का किरदार था. उसका तथा अन्य किरदारों का साज सिंगार और परिधान मेरी ज़िम्मेदारी थी. कला दिग्दर्शन भी मेरा था. दीपा के संग परिचय इसी तरह शुरू हुआ और एकदमसे बढ़ गया जब हमें पता चला की हम दोनों का नैहर एक ही शहर का है. या वो जिस शहर में पली बढ़ी,उसके करीब ही मेरा गाँव था...मेरा नैहर था. हम पढ़े भी एकही पाठशालामे! बस फिर क्या था!!शूटिंग में जब भी ब्रेक होता हम दोनोकी अनवरत बातें चलतीं.
शूटिंग तो ख़त्म हो गयी लेकिन तीन चार रोज़ के बाद मैंने उसे दोपहर के भोजन के लिए आमंत्रित किया . पता चला की उसके शौहर का निधन हो चुका था. बातें गहराईं तो लगा कुछ तो उलझन उसके साथ रही है....मैंने हिचकते हुए पूछा," दीपा, क्या तुम्हारे पती gay थे?"
"हाँ!"दीपाने कहा तो सहजता से पर एक कसक मुझे महसूस हुई. वो आगे बोली," मेरा ब्याह हुआ तब मेरी उम्र अठारह साल की थी....ज़िंदगी के कई पहलुओं से मै अनभिग्य थी. पढ़ाई तो मेरी शादी के बाद पूरी हुई...!
" तो इतनी जल्दी शादी क्यों कर दी गयी तुम्हारी? ऐसी क्या परेशानी आन पडी थी तुम्हारे घरवालोंको?"...मैंने पूछ ही लिया..
"हाँ...बात कुछ ऐसी ही थी..."
दीपा ने सिलसिलेवार बताना शुरू कर दिया....
क्रमश:
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17 टिप्पणियां:
बहु प्रतीक्षित श्रृंखला शुरु करने के लिये बधाई. शुरु से ही आगे पढने की ललक जाग गई है.
अरे वाह!!!!!! कल ही आपको याद किया और आप आज हाजिर. शुरुवात ही इतनी अच्छी हुई है अब आगे क्या देखने मिलता है उसका इंतजार है
रोचक शुरूवात।
रोचक शुरूवात।
ओह...स्वागत है !
गे पे रौशनी की दरकार बनी रहेगी !
क्षमा जी....फिर से आपकी कहानियों के साथ दिन के जल्दी से गुज़रने का इंतज़ार शुरु हुआ...कब अगला दिन आए और हम कब क्रमश: से आगे की कहानी पढ़् सकें....
kshama ji deepa ..ki shuruat ne koutuhal paida kar diya hai....next ka intzaar hai...
interesting start.
interesting start.
किस मोड पर लाकर यूँ हमको छोडा…………अरे कुछ तो आगे दिया होता अब तो उत्सुकता और बढ गयी है।
शुरूआत तो रोचक है, आगे देखें क्या होता है।
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ईश्वर ने दुनिया कैसे बनाई?
उन्होंने मुझे तंत्र-मंत्र के द्वारा हज़ार बार मारा।
waiting for next one
आगे पढ़ने की उत्सुकता बनी हुई है !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
शुरूआत रोचक है.
प्रस्तुति अच्छी लगी। मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है।
बहुत सुन्दर लघु कथा है, बिल्कुल अपने नामानुकूल लिखा है आप ने,
बहुत - बहुत शुभ कामना
बहुत सुन्दर कथात्मकता, गतिशील भी
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