रविवार, 4 मार्च 2012

बचपन

कभी अपना बचपन याद आता है तो कभी बच्चों का! याद आ रहा एक वाकया जब हम औरंगाबाद में थे. मेरा बेटा दो साल का था और  अंगूठा चूसा करता था. मुझे सब परिवारवाले कहा करते,की,किसी तरह इसकी आदत छुडाओ. मै सब कथकंडे अपना चुकी थी लेकिन बेअसर!

एक दिन बिस्तर पे बैठे बैठे मैंने सोचा बेटे से कुछ कहूँ....कहा'" बेटे,देखो तुम्हारी माँ अंगूठा नही चूसती.....तुम्हारी नानी,नाना दादा, दादी कोई नहीं चूसता.."मैंने लम्बी चौड़ी फेहरिस्त उसके आगे रख दी. उसने मेरे गोदी में अपना सर रखते हुए,मूँह  से अंगूठा निकाला...मै खुश! कुछ असर हुआ शायद! तभी वो तुतलाते हुए बोल पड़ा," उन छबको बोलो चूसने को," और अंगूठा वापस मूह में! मै खामोश!

34 टिप्‍पणियां:

Rewa Tibrewal ने कहा…

hahahaha....very nice di....meri beti bhi chusti thi...sach may bahut tough job hai.....isay chudana

vandana gupta ने कहा…

हा हा हा ………ये हुई ना बात ………बच्चे हाजिर जवाब होते हैं।

Shalini kaushik ने कहा…

bilkul sahi kiya aapke bete ne,bhala koi zaroori hai ki jo sabne nahi kiya vah bhi nahi karega.ha.ha.ha.

ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…

वाह! क्या बात है !

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

उन छबको बोलो चूसने को :))))

उम्मतें ने कहा…

:)

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

सो स्वीट!! मैं खुद दसवीं तक अंगूठा चूसता था!!

Satish Saxena ने कहा…

आवश्यक जानकारी दी छोटू ने !
यह हमें भी नहीं मालूम था !
रंगोत्सव की शुभकामनायें स्वीकार करें !

Atul Shrivastava ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर की गई है। चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

ha ha ha ha ha !!

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

:)हमारी भी तो कोई सुने.....होली की शुभकामनायें ....

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

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♥ होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार ! ♥
♥ मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !! ♥



आपको सपरिवार
होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
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mark rai ने कहा…

होली पर बहुत बहुत शुभकामनाएं

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...होली की शुभकामनाएं....

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

इनको जीत पाना कहाँ आसान है..... :)))

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

वाह... क्या बात है।
ऐसा जवाब सच में बच्चे ही दे सकते हैं।

Anupama Tripathi ने कहा…

बच्चे किसी से कम नहीं ....!!
हम उन्हें कम क्यूँ समझते हैं ....?
बहुत सुंदर जवाब ....

Anupama Tripathi ने कहा…

बच्चे किसी से कम नहीं ....!!
हम उन्हें कम क्यूँ समझते हैं ....?
बहुत सुंदर जवाब ....

Viral ने कहा…

વાહ

ज्योति सिंह ने कहा…

ha ha ha ,bachcho ki vaani me mithas hoti hai ,unki buddhi bhi kamaal ki hoti hai ,

Rajput ने कहा…

हमारे घर में भी एक बच्ची है ६ साल की हो गई मगर हम सब मिलकर आज तक उसका अंगूठा चुसना नही छुडा पाए.
जब छोटी थी तो हम उसके दोनों अंगूठो पे टेप चिपका देते थे तो वो बहुत रोती थी और आखिर में हमें वो टेप हटाना पड़ता था .
आज भी बदस्तूर जारी है , जब टोकते हैं तो बंद कर देती गई मगर भी ....

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

bahut badhiya uttar diya.. :)

abhinav pandey ने कहा…

बच्चों से कभी कोई नहीं जीत सका... :)

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

:-)
नयी पीढ़ी का अनुसरण करें....

सादर.

Aruna Kapoor ने कहा…

जिन्हें हम 'बच्चा' समझते है...वे बच्चे दिमागी तौर पर पहुंचे हुए होते है!

...हा, हा, हा!..वाकई मजा आ गया!

mark rai ने कहा…

ye hai bachcho ki duniya.........

mark rai ने कहा…

ye hai bachchon ki duniya.....

Ruchi Jain ने कहा…

haha, waise sahi to bola usne, unko bolo jo karna hai karo,, humko na toko..

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति ने कहा…

छोटा बच्चा जान के, ना मुझको समझाना रे ...यह गाना याद आया ... सच बच्चे कितने भोले होते हैं ...

बेनामी ने कहा…

:) :) umda post

devendra gautam ने कहा…

दिल के दौरे से गुजरने के तुरंत बाद बच्चे की मासूमियत की और आपका ध्यान जाना बताता है कि आपको तनाव से मुक्त रहने की कला आती है. यही स्वस्थ रहने का सही तरीका भी है.

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

प्यारा संस्मरण।

Basanta ने कहा…

Lovely! A lovely boy!

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

to kab se shuru kar rahi ho aap ?