ज्यादा कुछ लिखने की अवस्था में तो नहीं हूँ। कल कौन बनेगा करोडपति में सोनाली को असली जीवन में देखा . उसके पूर्व क्राइम पेट्रोल में उसके जीवन के नाट्य रूपांतर को देख चुकी थी। तब भी और अब भी सब से अधिक गुस्सा उन घिनौने लड़कों के अलावा उनके वकीलों पे आया। क्यों ऐसे अपराधियों की वकालत करते हैं वकील? क्या समाज के प्रती उनका कोई दायित्व नहीं? करने दे किसी सरकारी वकील को उनकी तरफदारी! कानून जो कहता है कि घिनौनेसे घिनौने अपराधी को वकील जो मिलना चाहिए! लानत है उन वकीलों पे जो ऐसे अपराधियों की पैरवी करते हैं।
लानत है हमारे मुल्क के कानून पे जो ऐसे अपराधियों को बेल पे छोड़ देता है। ऐसे में एक पुलिस कर्मी क्या कर सकता है? ऐसे कानून पुलिस का नैतिक धैर्य पूरी तरह से नष्ट कर देते हैं। अपराधी पुलिस के मूह पे थूंक के कह देते हैं,कर लो जो करना है!
लानत है हमारे मुल्क के कानून पे जो ऐसे अपराधियों को बेल पे छोड़ देता है। ऐसे में एक पुलिस कर्मी क्या कर सकता है? ऐसे कानून पुलिस का नैतिक धैर्य पूरी तरह से नष्ट कर देते हैं। अपराधी पुलिस के मूह पे थूंक के कह देते हैं,कर लो जो करना है!
18 टिप्पणियां:
लगता है हम दोनों एक समय में एक ही बात सोच रहे थे.. क्राइम-पेट्रोल के बाद कल जब उसे बोलते सुना और उसकी आवाज़ में जो आत्मविश्वास दिखा, उसे देखकर घिन आयी अपनी व्यवस्था पर!! जिन्होंने उसे जीवन भर मौत से बदतर ज़िंदगी का अपमान दे डाला उन्हें सिर्फ नौ साल की सज़ा!! धिक्कार है!!
क्षमा जी आपका क्रोध सही है यदि इस तरह वकीलों द्वारा अपराधियों का साथ नहीं दिया जायगा तो कुछ हौसले तो उनके टूटेंगे ही किन्तु फिर भी एक बात और आपको हमारी माननी होगी की अब भी ज्यादा बड़ा उत्तरदायित्व न्याय की कुर्सी पर बैठने वाले जज का बनता है अपराधी तो वह तभी घोषित होता है जब उसपर लगे आरोप साबित हों और उससे पहले उसे अपनी बात रखने का भी तो मौका मिलना चाहिए बाकि सब कुछ सुन देख कर न्याय की गरिमा तो जज को ही रखनी चाहिए. न्यायालय का न्याय :प्रशासन की विफलता
क्षमा जी, ऐसे वकील कसाब जैसे आतंकियों की तरफदारी को भी तैयार रहते हैं और हवाला देते हैं पेशा का कि भई ये तो हमारा पेशा है | पर वो भूल जाते हैं कि "जमीर" नाम की भी कोई चीज़ होती है | एक भारतीय और खास कर एक मानव होकर भी उनका हृदय कैसे तैयार हो जाता है इस तरह के मानवता विरोधी लोगों का साथ देने के लिए ये समझ में नहीं आता है |
आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (28-11-12) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
सूचनार्थ |
आपका गुस्सा जायज़ है क्षमा जी । ऐसे लोगों को बेल काी छूट नही मिलनी चाहिये ।
आप को जल्दी स्वास्थ्य लाभ हो ।
Shaliniji , hamare qanoon jo angrezon ke zamanese bane hain...sainkdo saal purane,unme badlaaw kee zaroorat hai. Judge ne shiksha suna dee...9 saal kee jo na ke barabar thee...uske bawjood jo loop holes wakeel dhoondh lete hain,unke balboote pe ye teeno apradhee chand maah me chhoot gaye aur khule aam ghoom rahe hain.
Maine kayee baar Indian Evidence Act ke bareme likha hai. 26/11 ke anubhav ke baawjood is qanoon me badlaw nahee aya.
आपका गुस्सा जायज़ है।
उस अपनराधी को ऐसा ही भयावह जीवन मिलना चाहिये -तभी जान पायेगा कि दूसरे का कष्ट कैसा होता है.
आपका गुस्सा जायज़ है, हमें भी बहुत गुस्सा आता है इस बात पर... ! मगर...कभी-कभी गलत इलज़ाम भी लग जाते हैं न.. इसीलिए सरकार ने ऐसा नियम बनाया है ! वर्ना... ऐसे गुनाहगारों के लिए तो न ही मुक़द्दमा होना चाहिए न ही वकालत वरन सिर्फ और सिर्फ पूरी दुनिया के सामने ऐसा हश्र करना चाहिए की कोई भी ये गुनाह करने की सोचे ही ना...
~सादर !!!
यह अपराध बहुत ही गम्भीर है, इस पर जज को देखना चाहिए था।
Ajitji...jadge ne to dekha lekin judge bhee qanoon ke dayreme hain...session court ka judge ek judgement sunata hai to log high court me jate hain...us awadhi me apradhi zamanat maang leta hai..kisee pe acid fenkna qanoonan gairzamanati gunah hona chahiye,jo ki nahee hai. Yahee to mai kah rahee hun,ki badlaw to qanoon me ana zarooree hai.Gar qanoon is apradh ko gai zamanatee bana dega to koyi judge uske pare nahee ja sakta!
behad dardnak tha vo vakaya...
दुर्भाग्य से यह सब भी हमारे सभ्य समाज की कटु सच्चाइयाँ हैं।
सादर-
देवेंद्र
मेरी नयी पोस्ट- कार्तिकपूर्णिमा
धिक्कार है ऐसी व्यस्था पर - - सादर
धिक्कार है ऐसी व्यस्था पर - सादर
aapne sahi kaha hai .aabhar
aap jald swasth ho jaye aisi prabhu se kamna hai .
सादर निमंत्रण,
अपना बेहतरीन ब्लॉग हिंदी चिट्ठा संकलक में शामिल करें
आपके नये लेख की प्रतीक्षा है।
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