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रविवार, 23 अगस्त 2009

'बिखरे सितारे' ८) नन्हीं पूजा तथा उसका घर



पूजा तब छ: माह की थी। उसका घर..जो दादा दादी ने बनाया...अफ़सोस वो घर अब वैसा रहा ही नही...न वो बरामदा रहा ना वो रूप...आज जब पूजा उस वास्तू को देखती है ,तो ,अपने दादा दादी को बेहद याद करती है...उस बरामदे के बिना उसे वो घर पराया-सा लगता है...एक जर्जर हुआ आशियाना..जिसकी खैर ख़बर किसीको नही.. ..सपनों में उसे इसी बरामदे में बैठे दादा दादी नज़र आते रहते हैं..