बहुत लम्बे अरसे के बाद कुछ लिखने की हिम्मत जुटा पाई हूँ। रोग हुआ है फैब्रो myalagia जो लाइलाज है. हर समय बेहद दर्द में रहती हूँ .खैर! ज़िदगी चल रही थी . मैंने इस दर्द को स्वीकार भी कर लिया था .
मेरी आर्किटेक्ट बेटी जो कुछ अरसे के लिए photographer बन गयी थी,गारमेंट ऐक्सपोर्ट करने लगी! उसका सारा कपड़ा मेरे यहाँ आता. उसे मै धोती, सुखाती और अपनी अलमारियों में रखती . फिर उसके दर्जी आते जिन्हें नाप के कपड़ा देना होता. सिले कपडे को कुरियर से भेजना होता .ना जाने और क्या,क्या करना पड़ता . आधा घर गोडाउन बन गया है. उसके कपडे के लिए मैंने ख़ास तौर पे अलमारियां खरीदी और बनवाईं भी . बिटियाकी पीठ में दर्द होने के कारन हाथोहाथ बत्तीस हज़ार के गद्दे बनवाये .मुझे खुशी हो रही थी कि उसका काम चल पडा है .
बदमिज़ाज तो वो होही गयी थी . ख़ास कर के मेरे और मेरी माँ के साथ. जिन दो महिलाओं ने उसे सब से अधिक प्यार दिया था .
मेरा दर्जी जो उसके कपड़े का हिसाब रखता,उसने मुझे कहा," मैडम ये जो कपडा पड़ा है ये उसके किसी इस्तेमाल का नहीं है. जगह घेर रहा है.तीन साल पहलेके खरीदे कपडे में से बचा हुआ है. आप इसका इस्तेमाल कर लीजिए ."
मैंने कहा ," ठीक है…मुझे दो दोहड़ ठीक करने हैं . मै यही कपड़ा ले लूँगी ."
मैंने वो दो दोहड़ ठीक किये. जनवरी में बेटी अपने काम के खातिर आ पहुँची . आतेही उसकी खानपान को लेके बदमिजाजी शुरू हो गयी मैंने उन बातों को नज़र अंदाज़ करना शुरू किया .आनेके दूसरे दिन वो अचानक मेरे कमरे में आयी और मेरी दोहड़ पे उसकी नज़र पड़ी .
गुस्से में आके उसने मुझ से कहा," माँ! इस कपडे को इस्तमाल करनेसे पहले आपने मेरी इजाज़त लेना ज़रूरी नहीं समझा ?"
मैंने कहा," बेटे! मुझे लगा ये कपड़ा तेरी ज़रुरत का नहीं है!टेलर ने तो मुझे यही कहा!या तो मेरे से इसके पैसे लेले. "
बिटिया: " मुझे नहीं चाहियें पैसे! बात उसूलों की होती है. मै चाहे इसका कुछ भी करती …अपने लिए ब्लाउज़ बना लेती"
मुझ पे मानो पहाड़ टूट पडा …मेरी वो बिटिया मुझे ऐसी बात कह रही थी जिसके दो घर मैंने अपनी ओर से बसा दिए! पहले अमरीका में और दूसरा इंग्लैंड में!और ये सब उसके ब्याह के बाद! मुझे पता था कि मै उसके घर कभी जा पाऊँगी लेकिन सोचती रहती थी कि उसका सजा सजाया घर कैसा दिखता होगा! एक लकड़ी का सामान छोड़ मैंने हर एक चीज़ उसे भेजी थी! क्या कुछ नहीं दिया था उसे!परदे ,चद्दरें,रजाइयां ,भित्तिचित्र .....सैकड़ों चीज़ें!कुरियर द्वारा! लाखों का सामान मैंने बड़ी खुशी से भेजा था . उसकी एक सहेली अमरीका में उसके घर गयी तो उसने मेरी बेटी से कहा,"ये घर तो तेरी माँ का लगता है!!!"
मेरी जो साड़ी उसे पसंद आती मै उसे कटवा के उसके लिए ड्रेस बनवा देती .उस बेटी ने मुझे ऐसी बात कह दी!
इतना कहके वो रुकी नही …आगे कहा," माँ पता है आपने मेरे साथ चीटिंग की है !"
उसका ये कहना मुझे लगा जैसे मैंने चोरी की है!उसके बाद उसने मुझे एक बेहद कटु ईमेल भेजी! मै समझ नहीं पा रही हूँ कि इतनी कडवाहट उसके मनमे मेरे लिए क्यों है?
इस घटना के बाद मै शरीर और मन दोनों से टूट गयी . उसके कपडे की कीमत निकालो तो वो अधिक से अधिक पांच सौ रुपयों का होगा! मै अपनी ही निगाहों में गिर गई !
इस घटना के बाद और बहुत कुछ हो गुज़रा ,लेकिन वो सब लिखने की हिम्मत जुटा नहीं पा रही हूँ .
आप सभी से पूछती हूँ, मेरी कहाँ गलती हुई?इस शरीर और मन के दर्द से मुझे कौनसा खुदा निजाद दिलवाएगा?ऐसा कौनसा जुर्म किया मैंने जो मेरी बेटी मुझे माफ़ नहीं कर सकती ?क्या ये वही बेटी है जिसके लिए मै तन मन और धन लुटाती रही? अपने ही परिवार से उसे बचाती रही?क्योंकि वो अनचाही कन्या थी?
मेरी आर्किटेक्ट बेटी जो कुछ अरसे के लिए photographer बन गयी थी,गारमेंट ऐक्सपोर्ट करने लगी! उसका सारा कपड़ा मेरे यहाँ आता. उसे मै धोती, सुखाती और अपनी अलमारियों में रखती . फिर उसके दर्जी आते जिन्हें नाप के कपड़ा देना होता. सिले कपडे को कुरियर से भेजना होता .ना जाने और क्या,क्या करना पड़ता . आधा घर गोडाउन बन गया है. उसके कपडे के लिए मैंने ख़ास तौर पे अलमारियां खरीदी और बनवाईं भी . बिटियाकी पीठ में दर्द होने के कारन हाथोहाथ बत्तीस हज़ार के गद्दे बनवाये .मुझे खुशी हो रही थी कि उसका काम चल पडा है .
बदमिज़ाज तो वो होही गयी थी . ख़ास कर के मेरे और मेरी माँ के साथ. जिन दो महिलाओं ने उसे सब से अधिक प्यार दिया था .
मेरा दर्जी जो उसके कपड़े का हिसाब रखता,उसने मुझे कहा," मैडम ये जो कपडा पड़ा है ये उसके किसी इस्तेमाल का नहीं है. जगह घेर रहा है.तीन साल पहलेके खरीदे कपडे में से बचा हुआ है. आप इसका इस्तेमाल कर लीजिए ."
मैंने कहा ," ठीक है…मुझे दो दोहड़ ठीक करने हैं . मै यही कपड़ा ले लूँगी ."
मैंने वो दो दोहड़ ठीक किये. जनवरी में बेटी अपने काम के खातिर आ पहुँची . आतेही उसकी खानपान को लेके बदमिजाजी शुरू हो गयी मैंने उन बातों को नज़र अंदाज़ करना शुरू किया .आनेके दूसरे दिन वो अचानक मेरे कमरे में आयी और मेरी दोहड़ पे उसकी नज़र पड़ी .
गुस्से में आके उसने मुझ से कहा," माँ! इस कपडे को इस्तमाल करनेसे पहले आपने मेरी इजाज़त लेना ज़रूरी नहीं समझा ?"
मैंने कहा," बेटे! मुझे लगा ये कपड़ा तेरी ज़रुरत का नहीं है!टेलर ने तो मुझे यही कहा!या तो मेरे से इसके पैसे लेले. "
बिटिया: " मुझे नहीं चाहियें पैसे! बात उसूलों की होती है. मै चाहे इसका कुछ भी करती …अपने लिए ब्लाउज़ बना लेती"
मुझ पे मानो पहाड़ टूट पडा …मेरी वो बिटिया मुझे ऐसी बात कह रही थी जिसके दो घर मैंने अपनी ओर से बसा दिए! पहले अमरीका में और दूसरा इंग्लैंड में!और ये सब उसके ब्याह के बाद! मुझे पता था कि मै उसके घर कभी जा पाऊँगी लेकिन सोचती रहती थी कि उसका सजा सजाया घर कैसा दिखता होगा! एक लकड़ी का सामान छोड़ मैंने हर एक चीज़ उसे भेजी थी! क्या कुछ नहीं दिया था उसे!परदे ,चद्दरें,रजाइयां ,भित्तिचित्र .....सैकड़ों चीज़ें!कुरियर द्वारा! लाखों का सामान मैंने बड़ी खुशी से भेजा था . उसकी एक सहेली अमरीका में उसके घर गयी तो उसने मेरी बेटी से कहा,"ये घर तो तेरी माँ का लगता है!!!"
मेरी जो साड़ी उसे पसंद आती मै उसे कटवा के उसके लिए ड्रेस बनवा देती .उस बेटी ने मुझे ऐसी बात कह दी!
इतना कहके वो रुकी नही …आगे कहा," माँ पता है आपने मेरे साथ चीटिंग की है !"
उसका ये कहना मुझे लगा जैसे मैंने चोरी की है!उसके बाद उसने मुझे एक बेहद कटु ईमेल भेजी! मै समझ नहीं पा रही हूँ कि इतनी कडवाहट उसके मनमे मेरे लिए क्यों है?
इस घटना के बाद मै शरीर और मन दोनों से टूट गयी . उसके कपडे की कीमत निकालो तो वो अधिक से अधिक पांच सौ रुपयों का होगा! मै अपनी ही निगाहों में गिर गई !
इस घटना के बाद और बहुत कुछ हो गुज़रा ,लेकिन वो सब लिखने की हिम्मत जुटा नहीं पा रही हूँ .
आप सभी से पूछती हूँ, मेरी कहाँ गलती हुई?इस शरीर और मन के दर्द से मुझे कौनसा खुदा निजाद दिलवाएगा?ऐसा कौनसा जुर्म किया मैंने जो मेरी बेटी मुझे माफ़ नहीं कर सकती ?क्या ये वही बेटी है जिसके लिए मै तन मन और धन लुटाती रही? अपने ही परिवार से उसे बचाती रही?क्योंकि वो अनचाही कन्या थी?