बिखरे सितारे :अध्याय २:३) सैलाबे दर्द...
पिछले भाग में पढ़ा :मकान मालकिन चाभी ले गयी, और पूजा पर गौरव औरभी गरज पडा..पूजा से बोला ना गया..बोलती भी तो उसकी कौन सुनता? उसने अपनी सास तथा जेठानी के मुखपे एक कुटिल -सी मुस्कान देखी.
और फिर इसतरह के वाक़यात का एक सिलसिला-सा बनता गया..
अब आगे:
पूजा इन हालातों में अपने आपको बेहद अकेला महसूस करने लगी...पलकों पे आँसूं तैरते रहते और वो उन्हें अन्दर ही अन्दर पी जाती..किसे कहे..किसे सुनाये..जिसके साथ वो दो बातें प्यारकी करना चाहती, जिससे दो बातें प्यारकी सुनना चाहती, वो बडाही बेदर्द निकला...पूजा को विश्वास नही होता की,गौरव इस तरह का बर्ताव करेगा...दिन गुज़रते रहे..वो मुरझा-सी गयी...
ब्याह को तीन माह होने आए और उसके पैर भारी हो गए...एक अतीव आनंद उसके मनमे समाया...खुदके माँ बन्ने से अधिक उसे इस बात की खुशी हुई, की, उसकी माँ नानी बनेगी..उसकी दादी परनानी बनेगी...वो लोग कितने ख़ुश होंगे...और खुशी का ज़रिया उनकी लाडली पूजा तमन्ना होगी..लेकिन विधीका विधान कुछ और था...उसे रक्त स्त्राव शुरू हो गया, और गर्भ पात हो गया..उसके मनमे आया,काश, उसने अपने नैहर ख़त न लिखा होता..! उसके पीहर में सब कितने निराश हो जायेंगे जब ये खबर सुनेंगे!.सभी को पूजा की चिंता होगी..की उसका स्वस्थ तो ठीक है...
जब पूजा को ऑपरेशन के लिए ले गए तो उसे लोकल अनेस्थेशिया देने का भी उस महानगर के doctors को ध्यान नही रहा...जैसे साग सब्ज़ी काटनी हो उस तरह से वो ऑपरेशन कर दिया गया..पूजा चींख चींख के कहती रही,की, उसे बेहद दर्द है, और डॉक्टर ने डांट दिया," इतना दर्द तो सहनाही पडेगा..."
इतना अमानवीय बर्ताव उसने कहीँ न देखा था ना सुना था..! जब कमरेमे आयी तो पीली फक्क पड़ गयी थी..गर उसके दादी दादा उसकी ये हालत देखते तो उनपे क्या गुज़रती?
गौरव का उसके साथ बर्ताव उन्हें कितना दर्द पहुँचाता? उसने क्या करना चाहिए? चुपचाप सहना चाहिए या....?गौरव और उसके परिवारवालों को समय देना चाहिए? फिलहाल उसे चुपही रहना चाहिए...नैहर में कुछ नही बताना चाहिए,उसके मनने उसे गवाही दी...किसे पता था,की, इतनी कोमल लडकी शारीरिक मानसिक दर्द का ऐसा सैलाब थाम सकती थी?
ब्याह के छ: माह बाद उसे अपने नैहर जाने का मौक़ा मिला..उसके पिता उसे लेने आए..
क्रमश:
और फिर इसतरह के वाक़यात का एक सिलसिला-सा बनता गया..
अब आगे:
पूजा इन हालातों में अपने आपको बेहद अकेला महसूस करने लगी...पलकों पे आँसूं तैरते रहते और वो उन्हें अन्दर ही अन्दर पी जाती..किसे कहे..किसे सुनाये..जिसके साथ वो दो बातें प्यारकी करना चाहती, जिससे दो बातें प्यारकी सुनना चाहती, वो बडाही बेदर्द निकला...पूजा को विश्वास नही होता की,गौरव इस तरह का बर्ताव करेगा...दिन गुज़रते रहे..वो मुरझा-सी गयी...
ब्याह को तीन माह होने आए और उसके पैर भारी हो गए...एक अतीव आनंद उसके मनमे समाया...खुदके माँ बन्ने से अधिक उसे इस बात की खुशी हुई, की, उसकी माँ नानी बनेगी..उसकी दादी परनानी बनेगी...वो लोग कितने ख़ुश होंगे...और खुशी का ज़रिया उनकी लाडली पूजा तमन्ना होगी..लेकिन विधीका विधान कुछ और था...उसे रक्त स्त्राव शुरू हो गया, और गर्भ पात हो गया..उसके मनमे आया,काश, उसने अपने नैहर ख़त न लिखा होता..! उसके पीहर में सब कितने निराश हो जायेंगे जब ये खबर सुनेंगे!.सभी को पूजा की चिंता होगी..की उसका स्वस्थ तो ठीक है...
जब पूजा को ऑपरेशन के लिए ले गए तो उसे लोकल अनेस्थेशिया देने का भी उस महानगर के doctors को ध्यान नही रहा...जैसे साग सब्ज़ी काटनी हो उस तरह से वो ऑपरेशन कर दिया गया..पूजा चींख चींख के कहती रही,की, उसे बेहद दर्द है, और डॉक्टर ने डांट दिया," इतना दर्द तो सहनाही पडेगा..."
इतना अमानवीय बर्ताव उसने कहीँ न देखा था ना सुना था..! जब कमरेमे आयी तो पीली फक्क पड़ गयी थी..गर उसके दादी दादा उसकी ये हालत देखते तो उनपे क्या गुज़रती?
गौरव का उसके साथ बर्ताव उन्हें कितना दर्द पहुँचाता? उसने क्या करना चाहिए? चुपचाप सहना चाहिए या....?गौरव और उसके परिवारवालों को समय देना चाहिए? फिलहाल उसे चुपही रहना चाहिए...नैहर में कुछ नही बताना चाहिए,उसके मनने उसे गवाही दी...किसे पता था,की, इतनी कोमल लडकी शारीरिक मानसिक दर्द का ऐसा सैलाब थाम सकती थी?
ब्याह के छ: माह बाद उसे अपने नैहर जाने का मौक़ा मिला..उसके पिता उसे लेने आए..
क्रमश:
5 टिप्पणियां:
अभी खामोशी से पढ़ रहा हूं बस !
आपने बिखरे सितारों को अच्छा पिरोया है
जितना भी पढो नया लगता है.. जाने क्यों ये दर्द अपना लगता है...
अच्छी चल रही है कहानी. पर इतना दर्द क्यों ????
bahut hi dard bhari hai aapki kahaani me......
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