शुक्रवार, 4 सितंबर 2009

बिखरे सितारे ! १२) एक अनजाना मोड़ !

( इसके पहली किश्त में पूजा की मंगनी की बात बताई थी...अब आगे..)

पूजा ने अपनी मंगनी करवाके बचपना किया...जैसे समय बीतता रहा..उसे अपनी गलती महसूस हो रही थी...जो लड़का उस पे जान निछावर करता था,उसकी इज्ज़त तो करती,लेकिन प्यार या कोई आकर्षण ने दिलके द्वारों पे दस्तक नही दी..लड़के की माँ, पूजा पे वारे न्यारे थी..उसके मुँह से अनजाने में निकला शब्द वो तुंरत झेल लेती...ऐसी सास ढूँढे मिलना मुमकिन नही था..लेकिन गर जिसके साथ जीवन बिताना हो, उसके प्रती कोईभी कोमल भावना न हो तो, दोनों ओरसे जीवन नरक बन सकता था.....जब वो लड़का ३/४ चक्कर काट लेता,तब जाके पूजा उससे मिलने आगे आती...और कुछ ना कुछ बहाना बना, १०/१५ मिनटों मे चल देती...वो एक दोराहे पे आ खड़ी थी ...


मंगनी तकरीबन दो साल टिकी रही..वो लड़का जब कभी पूजाको छात्रावास में मिलने आता,पूजा टाल जाती..कभी,नीचे रखवाल दार को कह देती,मै वाचनालय में हूँ...या और कहीँ......' एक उदासी का आलम उसपे घिर आने लगा...कुछ तो निर्णय लेना ही था..वरना लड़के तथा उसके परिवारपे घोर अन्याय था..
पूजा के दिलो दिमाग़ पे इस बात का विपरीत असर होने लगा...स्नातकोत्तर हुई,पहली सेमिस्टर मे महा विद्यालय का रिकॉर्ड तोड़ने वाली पूजा, सालाना इम्तेहान के समय बीमार रहने लगी...पढ़ा हुआ भूल जाने लगी...

fine आर्ट्स में पोस्ट graduation का एक साल ख़त्म होनेवाला था..माँ उसे परिक्षा के पूर्व मिलने आयी और बताया कि, उनके शहर एक आईएस का लड़का assitant कलेक्टर बनके आया है...परिवार से घुल मिल गया है...


इस लड़के से उनके परिवार का परिचय कैसे हुआ?

यही बताने जा रही हूँ...कारण वही हादसा था...जिस बंदूक से गोली चली थी,दादा जी ने वो बन्दूक तुंरत तहसील के दफ्तर में जमा करा दी थी..उसे जमा करके भी दो साल हो गए थे...दर असल,ये बन्दूक, एक जर्मन डॉक्टर ने उन्हें भेंट दी थी...

परवाने लिए उन्हों ने तहसीलदार के दफ्तर में आवेदन पत्र भी भेज रखा था....और ये आवेदन पात्र उन्हों ने हादसे के दो वर्ष पूर्व भेजा था...!सरकारी कारोबार था..दादाजी जब भी पता करने जाते, कुछ न कुछ बहाने बनाके उन्हें टाल दिया जाता....उस बंदूक को वापस हासिल करने तथा उसका परवाना चाहने, दादा तथा पूजा के पिता, assistant कलेक्टर से मिलने तहसील के दफ्तर मे चक्क्कर काटते रहते..

इन दो ढाई सालों मे कई अफसर आए और गए...काम नही बना..अबके एक IAS का अफसर आया है, शायद, अधिक ईमानदार होगा सोच, दोनों मिलने गए...और...... और वो लड़का विलक्षण प्रभावित हुआ...पिता पुत्र दोनों इज्ज़त दार लोग हैं,ये उसे तफ़तीश के बाद पता चला..दोनोका अंग्रेज़ी भाषा पे प्रभुत्व देखके भी वो दंग रह गया...इस पिछडे,दूर दराज़ ग्राम मे, oxford मे पढ़े लोग? हैरानी की बात थी......धीरे,धीरे पता चलता गया,कि, दादा दादी ने इस देश के ख़ातिर ,सारा ऐशो आराम छोड़ दिया था....बेलगाम के एक गाँव मे आ बसे थे...वो लड़का कर्नाटक कैडर का था....

यही वजह रही कि,उस परिवार के साथ उस अफसर की नज़दीकियाँ बढीं...वो उनके घर भी आने जाने लगा..अपने अन्य मित्रों कोभी( जो आस पास के इलाकों मे कार्यरत थे), कई बार साथ ले आता... ...ये फिल्मों मे दिखायी जानेवाली ज़मीदारों की कहानी नही थी...बल्कि, जब हादसा हुआ, और दादा जी पुलिस स्टेशन पहुँचे, तो स्थानीय पुलिस, जो दादा जी की बेहद इज्ज़त करते थे,उन्हों ने सलाह दी," आप FIR मे दर्ज करें,कि, जिस बंदूक का आपके पास परवाना था, गोली उसी से छूटी...तथा, पहले वकील बुलाके और फिर कुछ भी दर्ज कराएँ....."
लेकिन दादा जी ने साफ़ इनकार कर दिया...उस बात का भी बयान दूँगी...

उस हादसे के कुछ तपसील देना चाहती हूँ...वो बिना परवानेकी बन्दूक दादाजी हमेशा dismantle करके रखते..कभी कबार अलमारी से बाहर निकाल, उसकी साफ़ सफाई करते,और वापस अन्दर चली जाती...गाँव या बस्ती से दूर बने घरमे सुरक्षाके लिए बन्दूक ज़रूरी थी..बल्कि,एक बार किसीकी चींख सुन उन्हों ने हवा में गोली दाग दी थी...चोर एक औरत का हाथ काटते काटते भाग गए....! उसके हाथ से चांदीके भारी कड़े निकल नही रहे थे,तो हाथ काटने चले थे...


दादा जी वचन और अल्फाज़ के सच्चे थे..बोले," क़तई नही..ये तो मेरे पोते-पोतियों पे कितना ग़लत असर होगा..दादा ने झूठ कहा? सवाल ही नही..जो परिणाम होने वाले हों, सो हों..मै वही कहूँगा,जैसा की घटा.."

घटना कैसे घटी थी? दादा जी ने बन्दूक को साफ़ किया..तभी भैंसे दूधने के खातिर ग्वाला चला आया...दादा अपने सामने दूध निकलवाते...ताकि, ग्वाला एक बूँद भी पानी न मिला सके...और दूध मशहूर था..ऐसी मलाई, ऐसा गाढा दूध और कहीँ नही मिलता था...लोग इस ढूध के खतिर क़तार लगाये रहते..

जो व्यक्ती हमेशा हर चीज़ मे बेहद सतर्क रहता, वो बंदूक को वापस बिना अलमारी मे रखे चला गया..गोलियाँ बाहर निकली हुई हटीं..१२ गोलियां तो उन्हों ने उठाके, मेज़ की दराज़ मे रख दी थीं...
पूजा का छोटा भाई जब बाहर निकला तो बरामदे मे पड़ी बंदूक उसे दिखी...वो इतनी छोटी उम्र मे भी बेहतरीन निशाने बाज़ था...गुलेल से एक ही बार मे आम का या चीकू का फल टहनी से अलग कर देता..air gun भी बहुत ख़ूब चलाता..उसके लिए तो परवाने की ज़रूरत नही थी...चूहे भी मार गिराता...जो कि, खेती का नुकसान करते...
उसने जैसे ही बंदूक हाथ मे पकडी, सामने से बस्ती परका एक लड़का आया..उसी की उम्र का..उस लड़के ने भाई से उकसाते हुए कहा,
"चलाओ तो मुझ पे गोली...!"
वो भी खूब जनता था,कि, अगला कभी नही चलाएगा!
दादा जी की एक एहतियातन ताकीद थी...जब कभी निशाना check करना हों, हमेशा, ज़मीन की ओर..कभी ऊपर नही...राजू, (छोटे भाई को सब यही बुलाते) कभी भी किसी के ऊपर गोली नही दाग सकता...
खेलही खेल मे, राजू ने, उस लड़के की पैर की ओर निशाना लिया और बंदूक का ट्रिगर दबा दिया...

जैसा कि, दादा या अन्य परिवार वाले समझते थे,कि, बंदूक मे केवल १२ गोलियाँ होती हैं,वो बात सही नही थी...उसमे १३ गोलियाँ हुआ करतीं..आखरी गोली चल गयी..उस सुनसान खेतमे एक ज़ोरदार धमाका हुआ...पूजा तो थी नही...अन्य परिवारवाले दौडे...उस हादसे को बरसों बीते लेकिन,उस गोली की गूँज कोई नही भूला...या भुला सकता...
पूजा छात्रावास मे थी,जब ये घटना घटी....स्नातक पूर्व पढ़ाई चल रही थी...इसी अनुगूंज का असर पूजा की गैर मौजूदगी होके भी, उसके जीवन पे बेहद गहरा हुआ, ता-उम्र हुआ......उन परिणामों की चर्चा बाद मे....! जब उस IAS अफसर से पूजा के परिवार की मुलाक़ात हुई,तब पूजा, स्नातकोत्तर पढाई की एक साल पूरा कर चुकी थी...


लड़का तो नीचे गिर गया...बंदूक कमर से नीचे चली थी...दादा उसे लेके तुंरत अस्पताल दौडे...

अब एक बाप की नीयत देखिये..जिस बच्चे को गोली लगी थी,उसके बाप को अपने बेटे की जान प्यारी नही थी...और भी तो बच्चे थे..उसे तो पैसे निकलवाने थे! वो जाके छुप गया...चूँकि, दादा को पूरा शहर जानता था, पुलिस केस के पहले ही, दादा जी की सही लेके, शल्य चिकित्चा शुरू कर दी गयी..दादा जी बाद मे पुलिस स्टेशन पहुँचे..इज्ज़त इतनी थी,कि, हादसे के बारेमे जिस किसी ने सुना,( तबतक फ़ोन तो नही थे), वो सारे उनकी ज़मानत देने दौडे चले आए...

आगे, आगे क्या अंजाम हुए ?? क़िस्मत ने क्या रंग दिखाए? श्रवण कुमार ने शाप तो महाराजा दशरथ को दिया..लेकिन किस, किस ने भुगता?
पूजा के जीवन के दर्दनाक मोड़ तो उसी दागी गयी गोली के साथ शुरू हों गए...या और पीछे जायें,तो जब उसका पाठशाला मे रहते जो हादसा हुआ, तब से शुरू हुए...? तय करना कठिन है...जैसे मालिका आगे बढेगी...पाठक अपने अनुमान लगा लेंगे...कि, इस सवाल का जवाब किसी के पास नही...
एक मासूम, निर्दोष कथा नायिका का भविष्य क्या रहा? क्यों छली गयी एक निष्कपट लडकी ??
क्रमश:

22 टिप्‍पणियां:

Mahfooz Ali ने कहा…

yeh to aapne bahut hi achche tareeke se likha hai..... bilkul saans roke main padhta raha........ baandh ke rakha........ is kahani ne......

ab aage ka intezaar hai......

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

yeh to aapne bahut hi achche tareeke se likha hai..... bilkul saans roke main padhta raha........ baandh ke rakha........ is kahani ne......

ab aage ka intezaar hai......

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

आप की लेखन-शैली कमाल की है......

mark rai ने कहा…

bahut hi sunder...kshama ji....
kaphi interesting laga.....

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत दिल्चस्प मोड पर कहानी को छोडा है अगली कडी के लिये उत्सुकत और् बढ गयी है। शैली अच्छी हओ बधाई

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

kismat bhi kya cheez hai?dekhe ab kya rang dikhatee hai?w8ing 4 next post...

Atmaram Sharma ने कहा…

आपके ब्लॉग पर पहली बार आना हुआ. कहानी पढ़कर अच्छा लगा. रोचकता इस कदर की पुरानी किस्तें पढ़ना पड़ेंगीं.

अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा…

kahani ka mazaa use poori padhh lene ke baad aataa he, kintu dharavahiko ka apna aanand hota he, ese mod par rok dena jnhaa se agale mod ki utsukata jaag jaati he/ aapki rachna bhi kuchh isi tarah ki he/ pratiksha he/

RAJESHWAR VASHISTHA ने कहा…

क्षमा.....पहले भी आपके ब्लॉग पर आया था........आज सभी कडियाँ बडे मन से पढीं......बडा ही मार्मिक प्रसंग है..पर जीवन तो यही है...इस से कोई नहीं भाग सकता.....लिखती रहो.....लिखना मन के दर्द को घटाता है..जीने के लिए नई शक्ति देता है........

hem pandey ने कहा…

कहानी की यह किश्त रोचक लगी. पूरी कहानी पढ़ने की इच्छा जागृत हुई.पढूंगा भी, लेकिन थोडा समय निकाल कर.

अपूर्व ने कहा…

बाँध लेने की क्षमता है आपकी कलम मे..अब तो सारे बिखरे सितारे इकट्ठे करने पड़ेंगे एक दिन..और अगली किश्त की प्रतीक्षा भी है..

Urmi ने कहा…

Thanks for your lovely comment but I am not able to understand why you have asked me to delete it. I liked your comment.
I appreciate for the wonderful story written by you. Its very interesting and I am waiting eagerly for the next episode.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

MAARMIK LIKH RAHI HAIN AAP ...... BAHOOT HI ROCHAK MOD PAR KAHAANI KO CHODA HAI .... AGLI KADI KA INTEZAAR RAHEGA .....

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

आगे, आगे क्या अंजाम हुए ?? क़िस्मत ने क्या रंग दिखाए?

श्रवण कुमार ने शाप तो महाराजा दशरथ को दिया..लेकिन किस, किस ने भुगता?

पूजा के जीवन के दर्दनाक मोड़ तो उसी दागी गयी गोली के साथ शुरू हों गए...

कहानी रोचक होती ही जा रही है. पढने की ललक बढती ही जा रही है.

कृपया जब भी पोस्ट करें निम्न ईमेल पर सूचित कर दिया करें, ताकि शीग्र से शीग्र पढ़ सकूं.
cm.guptad68@gmail.com

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com

शरद कोकास ने कहा…

मै आपकी शैली की प्रशंसा करता हूँ ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

"एक मासूम, निर्दोष कथा नायिका का भविष्य क्या रहा? क्यों छली गयी एक निष्कपट लडकी ??"

कहानी रोचकता की ओर अग्रसर होती ही जा रही है.
अगली कड़ी का इन्तजार है।
लेखन-शैली बढ़िया है!
बधाई!

vikram7 ने कहा…

मार्मिक प्रसंग

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

nazar hat ti nahi hai aapke lekhon se...stabdh ho ke padhta rehta hoon...
very nice once again...

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

बहुत सुंदर कथा चल रही है। आगे की प्रतीक्षा रहेगी।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

ओम आर्य ने कहा…

AAPAKE BLOG PAR PAHALI BAR AAYA ........AAPAKI RACHANAO SE RUBARU HUAA........OUR BEHAD KHUBSOORAT LAGI AAPAKI RACHANAYE ...........OUR AAPAKI KAHANI DIL KE EHASASO KO CHHOO GAYI ..........AAGALA POST KA INTAJAR RAHEGA..........SHUKRIYA

मुकेश कुमार तिवारी ने कहा…

क्षमा जी,

अब तो कथानक के साथ रिश्ता जुड़ता महसूस हो रहा है। सांस रोक के पढना होता है एकबार में।

बहुत ही अच्छा और सधा हुआ लेखन।

सादर,


मुकेश कुमार तिवारी

गौतम राजऋषि ने कहा…

चलिये कुछ बातों का खुलासा हुआ...लेकिन तमन्ना द्वारा मंगनी तोड़ना थोड़ा सा अच्छा नहीं लगा।
एक आम पाठक के तौर पे कह रहा हूँ।

लेकिन इस किश्त के अंत में आपका ये लिखना कि क्यों छली गयी एक निष्कपट लड़की, उलझा गया है। अभी तक तो पूजा के साथ कोई छल नहीं हुआ, उल्टा उसने छल किया है अपने पूर्व मंगेतर के साथ चाहे मासूमियत में ही सही...