( पिछली कड़ी: मेरा..मतलब पूजा तमन्ना का ब्याह गौरव के साथ हो गया....बेलगाम के छोटा से गाँव से निकाल मै लखनऊ पहुँच गयी...अभी गुह प्रवेश ही हो रहा था ,की , कानों में अलफ़ाज़ पड़े ," ये गौरव भी ना ! पता नही किसकी उतरन ले आया है...अब आगे पढ़ें...)
मै चौंक गयी... उस ओर देखा...फिर कनखियों से गौरव की तरफ देखा...समझ नही पायी की, उसने सुना या नही...दिल जोरसे धड़कने लगा...पूजा-पाठ होता रहा..लोग मिलने आते रहे...ट्रेन से तभी आए थे...नहाने का आदेश मिला...ठण्ड थी काफ़ी...मैंने आदेश मान लिया... जो कपडे मिले,, समेट स्नान कक्ष में घुस गयी...और गीले ही स्नानकक्ष में किसी तरह साड़ी लपेट बाहर आयी...
दिनभर लोग आते रहे, और शाम जल्दी में तैयार हो स्वागत समारोह के लिए मुझे ले जाया गया...भीड़ उमड़ पडी थी..मेहमानों में विलक्षण उत्सुकता थी...मुझे देखने की..
रात जब घर पहुँचे तो पड़ोस के घरके एक कमरेमे सोने का इंतज़ाम था...( ये बता दूँ,की, इन सब बातों के चलते गौरव का तबादला बेलगामसे दिल्ली में हो गया था, उसी विभाग में जहाँ किशोर था..).
मैंने बात करने की कोशिश की...लेकिन गौरव ने तकरीबन मुझे धर दबोचा... धीरे, धीरे महसूस होने लगा की, उसकी मानसिकता किशोर से अलग नही थी...
सुबह हमें लखनऊ से दिल्ली लौटना था...दिल्ली घरवाले भी साथ चले...दो ही कमरों का घर था..मै डरी-डरी-सी थी..अपने आपको बेहद अकेला महसूस कर रही थी...फिर एकबार लगा, ज़िंदगी कहाँ ले चली? अपना नैहर याद आ रहा था...और गौरव ने मुझे कह डाला," मेरी माँ तथा घरवालों का एहसान मानो की, तुम्हें स्वीकार किया...वरना क्या करती तुम?"
सुनके मै दंग रह गयी...गौरव ऐसा तो नही लगा था...लेकिन बड़ी देर हो चुकी थी...जो सच था वो सामने आ गया था...जीवन का एक नया और डरावना अध्याय शुरू हो रहा था...सब कुछ बर्दाश्त करने के अलावा चारा नही था..यहाँ आँसूं पोछने वाला कोई नही था...समझमे आ गया ...झलक मिल गयी की, इन राहों में बेहद ख़तरा था...दर्द था...
क्रमश:
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17 टिप्पणियां:
Oh my God! Each episode of this story makes me cry. I don't know whether I will be able to read further----
very frightening, will be waiting eagerly for the next post. rongate khade ho gaye hain.
un raahon me behad khatra tha .......dard tha....
....aapki article me to waise hi dard rahta hai.......good one...
मार्मिक अभिव्यक्ति अगली कडी का इन्तज़ार शुभकामनायें
उत्सुकता बढ़ गई आगे पढ़ने के लिए..जिंदगी में कब कैसा मोड़ आए कोई नही जानता ज़रूरी नही की सब कुछ वैसा ही हो जैसा हम सोचते है..बहुत बढ़िया कहानी...अगली कड़ी का इंतज़ार है..
आज छोटी ही टिप्पणी करेंगे!
NICE.
दर्द से भरा मार्मिक अभिव्यक्ति के साथ आपने इस कहानी को प्रस्तुत किया है! अगली कड़ी का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा !
... जारी रखें, इंतजार रहेगा !!!!
विगत कुछ दिनों से सफर में व्यस्त रहा तो आ नहीं पाया पूजा/तमन्ना के सफर पर...और अब जो आया तो सफर के इस नये मोड़ ने चौंका ही दिया।
गौरव भी....उफ़्फ़्फ़!
अगली कड़ी का बेसब्री से इंतजार...किशोर का उसी शहर में होना यानि कहानी में एक और ट्विस्ट!
dard ki gahri abhivyakti
आँसूं पोछने वाला कोई नही था...समझमे आ गया ...झलक मिल गयी की, इन राहों में बेहद ख़तरा था...दर्द था...
kuchh shabd man ko sparsh kar gaye
Pehli baar pada.Bahut hi aacha laga .Ab agli kadi ka intezar rahega.
Kshama ji....kahani kafi dard se bhari hui hai....sorry puri nahi padi .....dard kafi hota hai use jajb karna hota hai....dard baya karna kafi muskil hai aap kar rahi hai .....par kia yeh dard aapka hai???//
aap blog par aayin..shukriya..
wahin se aap ke blog ka link mila aur yahan par pahali baar aana ho paya..aur yahan aa kar bahut achchha laga...kahani chal rahi hai...shuru se pahdungee....
aap ki yah black and white tasveer bahut sundar lagi..abhaar.
first time i read it.....truly good.
i will read it from initiation.
एक बार पढ के चली गई, किसी कारणवश टिप्पणी रह गई. आज फिर आई तो देखा कि मेरा कमेंट तो यहां है ही नहीं. रोचकता बढती जा रही है...अगला भाग अभी तक क्यों नहीं डाला आपने?
अगली कड़ी भी जल्दी ही प्रस्तुत करें।
बदलते गिरगिटी रिश्ते और इंसानियत के बदसूरत चेहरे खूब दिखये है आपने!कहानी प्रभावित करती है...आगे इन्तजार रहेगा.
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