बुधवार, 1 अगस्त 2012

दयाकी दृष्टी सदाही रखना..! 3


ये सुनकर उसका अपनी अशिक्षित माँ के प्रती आदर एकदम से बढ़ गया। कितने धीरज से ज़िंदगी का सामना किया था उस अनपढ़ औरत ने!
आशाके दिन पूरे हो गए। सरकारी अस्पताल मे  उसका प्रसव हुआ। सबकुछ ठीक ठाक हो गया। नामकरण के समय पतीने कहा,"नाम मे कहीं तो 'राजा' होना चाहिए। यथानाम तथा गुण। मन से धन से वो राजा बनेगा। अंत मे "राजीव"नाम रखा और उसका राजू बन गया। सबकुछ कैसा मनमुताबिक चल रहा था। भगवान्! मेरे नसीब को कहीँ नज़र न लग जाये, कभी,कभी आशाके मनमे विचार आता।

राजू दो सालका हुआ न था कि आशाके पैर फिर भारी हुए। उसे फिर लड़काही हुआ। वो थोडी-सी मायूस हुई। लडकी होती तो शायद आगे चलके सहेली बन गयी होती...... इस लड़केका नाम इन लोगोंने संजीव रखा। राजू-संजूकी जोड़ी!
उसने बच्चों को अंग्रेज़ी माध्यम के स्कूलमे डाला। बच्चे आज्ञाकारी थे। माँ-बाप तथा दादीका हमेशा आदर करते। समय पर पढाई खेल कभी कभार हठ्भी, जो कभी पूरा किया जाता कभी नही। दिन पखेरू बनके सरकते रहे......

इस बीच उसने बी.एड.भी कर लिया। पतीने बैंकिंग की औरभी परीक्षाएँ दी तथा तरक़्क़ी पाई। राजू दसवी तथा बारहवी कक्षा तक बहुत बोहोत बढिया नमबरोंसे पास होता गया और उसे सहजही मेडिकल कॉलेज मे प्रवेश मिल गया।
जब संजू बारवी मे था तब आशा की माँ गुज़र गयी। सिर्फ सर्दी-खाँसी तथा तेज़ बुखार का निमित्त हुआ और क्या हो रहा है ये ध्यान मे आनेसे पहलेही उसके प्राण उड़ गए। न्युमोनिया का निदान तो बादमे हुआ।

बहुत  दिनो तक माँ की यादों मे उसकी पलके नम हो जाती। आशा स्कूलसे आती तो माँ चाय तैयार रखती। खाना तैयार रखती। सासकी इस चुस्ती पर उसका पतीभी खुश रहता। धीरे,धीरे खाली घरका ताला खोल के अन्दर जानेकी उसे आदत हो गयी।
संजूको भी बारहवी मे  बहुत अच्छे  गुण मिले राजू के बाद वो भी मेडिकल कॉलेज  दाखिल हो गया। देखतेही देखते राजू एम्.बी.बी.एस.हो गया।
internship पूरी करके सर्जन भी बन गया। उसकी प्रगल्भ बुद्धीमत्ता की शोहरत शहरभर मे फ़ैल गयी और एक मशहूर प्राइवेट अस्पताल मे उसे नौकरी भी मिल गयी। इस दरमियाँ पतीके पीछे लगके उसने छतपे दो सुन्दरसे कमरे भी बनवा लिए थे। राजू संजूके ब्याह्के बाद तो ये आवश्यक ही होगा।

क्रमश: 


8 टिप्‍पणियां:

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

BAHUT AANAND AA RAHA HAI IS KAHANI KE TEENO KADIYA PADH LI HAIN. AAGE KI KADI KA INTZAR RAHEGA.

Kailash Sharma ने कहा…

रोचक कहानीगा....अगली कड़ी का इंतज़ार रहे

Bhawna Kukreti ने कहा…

AGALI KADI KA INTAZAAR RAHEGA

Ramakant Singh ने कहा…

khubsurat mod leti kahani

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

पिछली मालिका पढकर कुछ कहूँगा!! अभी तो बस हाजिरी!!

सदा ने कहा…

आज ही इस कहानी के तीनों भाग पढ़े ... अब अगले भाग की प्रतीक्षा है ...
बहुत अच्‍छा लिखती हैं आप ...
सादर

Vinashaay sharma ने कहा…

आपकी लेखन कला विवश करती है,आगे पड़ने के लिये ।

Asha Joglekar ने कहा…

कहानी बढिया जा रही है ।