रविवार, 25 सितंबर 2011

नाम में बहुत कुछ है!

बड़े दिनों बाद लिख रही हूँ. सोचती रहती थी,की,लिखूं तो क्या लिखूं? फिर अचानक कुछ अरसा पूर्व मराठी अखबार पढी हुई एक खबर दिमाग में कौंध गयी. वो खबर जब से पढी थी,तब से मन अशांत था.

खबर एक लडकी की थी. जो १०वी क्लास में पढ़ती है. नाम 'नकोशा'.उसकी स्कूल में एक शिबिर चल रहा था,उस दौरान एक समाज सेविका ने  उसका नाम पढ़ा तो चौंक गयी. उन्हों ने लडकी से पूछा," क्या तुम अपने नाम का मतलब जानती हो?"
लडकी: नहीं! 
समाज सेविका: यहाँ पे तुम्हारे साथ कोई आया है?
लडकी: मेरी दादी है.

जब दादी से बात हुई थी,तो उस लडकी के नाम और जनम की राम कहानी बाहर  आयी. नकोशा के पहले  उसके माँ-बाप   को एक लडकी हुई थी. इस बार सब को लड़के की उम्मीद थी. लडकी हुई तो सब ने उसे 'नकोशी'(unwanted )कर के बुलाना शुरू कर दिया. वो ३ माह की हुई तब उसकी माँ भी चल बसी. लडकी की  चाहत  किसी को भी न थी,इसलिए 'नकोशी' परसे  'नकोशा ' ये नाम उसे चिपक  गया. 

जब नकोशा को ये बात पता चली तो  पूरा दिन  उसने रो के काटा.' मुझे और किसी भी नाम से बुलाओ, लेकिन ये नाम हटा दो', कह के वो बिलखती रही. पाठशाला के बच्चों ने तथा शिक्षकों ने उसे shrawanee  कह के बुलाना शुरू किया. लेकिन  नाम बदलने की प्रक्रिया लम्बी है.

 शिक्षित,अमीर खानदानों में जहा लडकी नहीं चाहिए होती है,वहां नकोशा के अनपढ़ परिवार को कोई क्या कहे?नकोशा का ये किस्सा मुझसे भुलाये नहीं भूलता.



26 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

ना जाने कितनी नकोशा मिल जायेंगी…………बेहद मार्मिक

kavita verma ने कहा…

hryday sparshi vakaya...sach aise nam rakhane vale maa pita bachchon par kya beetegi ye nahi sochate.

Basanta ने कहा…

Very heartbreaking painful reality! It's so sad to see such things happening till these days.

रचना दीक्षित ने कहा…

अच्छा किस्सा है. अशिक्षित परिवार में लड़कियों की स्थिति ऐसी ही है.

रवि कुमार, रावतभाटा ने कहा…

नकोशा...
नाम बड़ा ही प्यारा है...
अर्थ भले ही कुछ हो...नकोशा को इसमें नये अर्थ भरने चाहिए...
यह नाम उसकी उम्र भर, पूरे समाज पर चांटा मारता रहेगा...
जैसे कि इस पोस्ट का भी कारण बना है...

और वह लोगों की आंखों में सीधे झांक कर, उनकी नज़रे झुकाती रह सकती है...

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

shama ji
aapki kahani padh kar dil bhari hogaya.
sach baat hai,aaj jab ladkiyan aakash ki bulandiyon ko chhoo rahi hain tab bhi abhi tak shixhit kahe jaane wale hamare sabhy susankrit samaaj ki soch nahi badli hai.
vastav me yah bahut hi khed ki baat hai.
shama ji main bhi idhar kaffi -dino se aswasthata ke dour se gujar rahi hun is liye net par aana bahut hi kam ho paata hai.
xhama -prarthini hun.
dhanyvaad sahit
poonam

कमलेश खान सिंह डिसूजा ने कहा…

मर्मस्पर्शी प्रस्तुति !

मनोज कुमार ने कहा…

हृदय विदारक प्रसंग।

mark rai ने कहा…

bahut hi sunder rachna ...aise nakoshi ke example kai jagah hai jahan par...na chaahte hue bhi aise name rakh diye jate hai...mujhe ye article bahut bahut bahut achcha laga....ise mai facebook aur twitter par share kar raha hoon....thanks for such article....

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

kya baat hai....this is very beautiful...

pragya ने कहा…

पढ़ी थी यह ख़बर...बड़ा ही अजीब लगा था....और एक नहीं कई 'नकोशा' थीं वहाँ...सच कहा आपने नाम में सचमुच बहुत कुछ रखा है जिसे हर कोई पढ़ नहीं पाता...जाने कैसा लगता होगा इस नाम की मालकिनों को...हमारी सबसे बड़ी पहचान हमारा नाम ही होता है और जब नाम ही ऐसा हो तो ख़ुद की पहचान ही दर्दनाक हो जाती है...

Kunwar Kusumesh ने कहा…

आपको नवरात्रि की ढेरों शुभकामनायें.

संजय भास्‍कर ने कहा…

बेहद मार्मिक

Atul Shrivastava ने कहा…

मर्मस्‍पर्शी किस्‍सा....

न जाने लोग क्‍यों लडके और लडकी में भेद करते हैं....

Urmi ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत ! शानदार प्रस्तुती!
आपको एवं आपके परिवार को नवरात्रि पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !

Unknown ने कहा…

बेहद मार्मिक ..मन को अंतर तक उदास कर गयी ..नकोशी का क्या दोष ?? नियति का दोष भी उस मासूम पर मढने वाले समाज की क्या दशा और दिशा होगी........???

Neelkamal Vaishnaw ने कहा…

अच्छी रचना है आपकी "नकोशा" अच्छी लगी बहुत सुन्दर मार्मिक
बहुत दिनों बाद आपकी कलम से लेख पढने को मिली और वो भी बहुत सुन्दर
MADHUR VAANI
BINDAAS_BAATEN
MITRA-MADHUR

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

मार्मिक.. बिल्कुल दिल को छू गई।

बहुत बढिया

हास्य-व्यंग्य का रंग गोपाल तिवारी के संग ने कहा…

Achhi rachna.Prenaspad evm marmik

ZEAL ने कहा…

स्त्रियों का यूँ भी सम्मान नहीं है समाज में । २१ वीं सदी में भी unwanted ही हैं। कम से कम नाम तो अच्छा रखें माता-पिता। यूँ जिल्लत तो न सहनी पड़े बेटियों को।

कविता रावत ने कहा…

jab shikshit kahe samjhe jaane wale log kisi baat ko jyada tool de baithte hain to NAKOSHA jasi sthiti nirmit hoti hai... Naam se jyada kaam par dhyan diya jaata to shyad yah esthiti nirmit nahi hoti...

कविता रावत ने कहा…

NAVRATRI kee aapko spariwar haardik shubhkmanayen!

Always Unlucky ने कहा…

Hi fantastic article! Thanks for sharing your current data and desire to observe more of this page soon.

India is a land of many festivals, known global for its traditions, rituals, fairs and festivals. A few snaps dont belong to India, there's much more to India than this...!!!.
Visit for India

Asha Joglekar ने कहा…

नकोशी की कहानी आपको बहुत क्षेत्रों में मिल जायेगी । इन में से ही कोई नकोशी अपने को इतना काबिल बना लेती है कि वह हवीशी हो जाती है । हम श्रावणी के लिये यही दुआ करते हैं ।

Asha Joglekar ने कहा…

ऐसी नकोशाएं आपको बहुत मिल जायेंगी । ङम ितना कर सकते हैं कि इनमें इतना उत्साह भरें कि ये अपने काबिलियत के दम से हवीशी बन जायें ।

समयचक्र ने कहा…

दीपावली पर्व अवसर आपको और आपके परिजनों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ....