बरसों साल पूर्व की बात है. हम लोग उन दिनों मुंबई मे रहते थे. मेरी बिटिया तीन वर्ष की थी. स्कूल बस से स्कूल जाती थी. एक दिन स्कूल से मुझे फोन आया कि बस गलती से उसे पीछे छोड़ निकल गयी है. मै तुरंत स्कूल पहुँची. बच्ची को स्कूल के दफ्तर मे बिठाया गया था. मैंने देखा, उसके एक गाल पे एक आँसू आके ठहरा हुआ था. मैंने अपनी उंगली से उसे धीरे से पोंछ डाला. तब बिटिया बोली," माँ! मुझे लगा तुम नही आओगी,इसलिए ये पानी पता नही कहाँ से यहाँ पे आ गया!" मैंने उसे गले से लगा के चूम लिया.
अब इसी तसवीर की दूसरी बाज़ू याद आ रही है. उस समय हम नागपूर मे थे. बिटिया वास्तु शाश्त्र की पदव्युत्तर पढ़ाई के लिए अमरीका जाने वाली थी. मै बड़ी दुखी थी. मेरी चिड़िया के पँख निकल आए थे. वो खुले आसमाँ मे उड़ने वाली थी और मै उसे अपने पँखों मे समेटना चाह रही थी. छुप छुप के रोया करती थी.
फिर वो दिन भी आया जिस दिन हम मुंबई के आंतर राष्ट्रीय हवाई अड्डे पे उससे बिदा लेने खड़े थे. उस समय बिटिया को बिछोह का कोई दुःख नही था. आँखों मे भविष्य के उज्वल सपने थे. आँसूं तो मेरी आँखों से बहना चाह रहे थे. मै अपनी बिटिया से बस एक आसूँ चाह रही थी. ऐसा एक आँसूं जो मुझे आश्वस्त करता कि बिटिया को मुझ से बिछड़ने का दुःख है. अब मुझे बरसों पहले उस के गाल पे ठहरे उस एक आँसूं की कीमत महसूस हुई. काश! उस आसूँ को मै मोती बनाके एक डिबिया मे रख पाती! कितना अनमोल तोहफा था वो एक माँ के लिए! जब बिटिया कुछ साल बाद ब्याह करके फिर अमरीका चली गयी तब भी मै उसी एक आँसूं के लिए तरसती रही,लेकिन वो मेरे नसीब न हुआ!
34 टिप्पणियां:
ye dil kya kya chah leta hai..har aansun ki keemat hoti hai...bas kuchh dikh jate hai kuchh dikhate nahi hai.
दिल की बात कलम से बाहर आयी
कोई बात नहीं दी, खुश हो जाइये कि बेटी की आंखों में आंसू नहीं खुशी है. फिर आप आंसू की कामना ही क्यों करें? कोई अपेक्षा न रखें. अपेक्षाएं तक़लीफ़ बढाती हैं.
दिल छू लेने वाला ये वाकया आपने पहले भी बयान किया था !
bahut hee maarmik prasang se roo-ba-roo kara diya aapne kshama ji...
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें.
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें .
शायद ये दर्द बच्चे नही समझ सकते जब तक कि वो खुद माँ बाप नही बन जाते।
बिटिया को एक दिन इस बात का और उस एक आँसू की कमी का एहसास होगा.....
मन को छू गयी ये कहानी
yahi prakriti ka niyam hai ...aur ise nayi pidhi aur maturity bhi kahte hai.....insaan bachcha hota hai tab bhawuk hota hai ya old age ka hota hai tab bhawuk hota hai...
आंसू आज कहाँ हैं जी.. सब तरसते हैं दिल से निकलने वाले आंसुओं को..
यह पोस्ट आपकी बिटिया को ज़रूर पढ़नी चाहिए.. दिली तमन्ना है...
आदमी आगे देखता है पीछे नही इसीसे हम अपने बच्चों से उम्मीद रखते हैं पर बच्चे भी आगे ही देखते हैं पीछे मुड कर हमे नही । आप खुश ही होंगी कि बेटी काबिल बन गई अपने जीवन में स्थापित हो गई ।
हमारे लिये ये खुशी भी अमोल है ।
सुंदर प्रसंग चित्रण ।
समय के साथ मूल्यों में कितना परिवर्तन आता है... विवाह के बाद विदा होती बिटिया भी सारे गाँव और मोहल्ले से विदा होने के दुःख से बिलख-बिलख कर रोती थी.. और आपकी बात पर आपकी ही एक पुरानी पोस्ट याद हो आयी!!
बेहद भावनात्मक चित्रण।
''... काश उन आंसुओं को मोती बनाकर डिबिया में बंद कर रख लेती''
मेरी बिटिया अभी महज पांच साल की है.... पर आपकी पोस्ट पढकर भविष्य में घटने वाले वाक्ये की कल्पना कर सिरहन पैदा हो गई....
अपनें भावों को बहुत सुंदर तरीके से पेश किया है आपनें,सुंदर पोस्ट.
भावुक करने वाला संस्मरण
Man ko chu lene wali post.Kahani ke dono paksh bahut hi marmik hain.
बच्चों से बिछुडने का दर्द तो होता है. लेकिन एक समय के बाद उन्हें ऊंची उड़ान लेने के लिये अपने आँचल से मुक्त करना ही होगा, अन्यथा वह केवल पिंजरे के पक्षी बन जायेगे.
hmm,aisa sabke hi sath hota hai, jab khud maa -baap bante hai tab hi ye peeda samajh aati h
नुसरत नागपुरी के शेर याद आ गये-
चश्मेबेकस के हैं खामोश इशारे आँसू
एक मजबूर के होते हैं सहारे आँसू
देखने वालों की नज़रों को भिगो देते हैं
अस्ल में होते हैं नमनाक नजारे आँसू.
पत्थर का मोल जौहरी और आँसू का मोल माँ-बाप ही जानते हैं.
बचपन को सहारा
यौवन को आकाश....
भावनाओं से लबरेज अभिव्यक्ति...
सादर...
लुत्फ़ है कौन सी कहानी में
आपबीती सुनाएँ या जगबीती
...
आपकी आपबीती में बहुत मर्म है
आपकी बात पे एक शेर याद आता है मुझे बहुत पसंद है .
.
याद कुछ आई इस क़दर भूली हुई कहानियां
सोये हुए दिलों में दर्द जगा के रह गयी
दिल छू लेने वाला संस्मरण.....सुन्दर प्रस्तुति
कुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
सुन्दर अभिव्यक्ति.
bhavpoorn chitran....
दिल छू लेने वाला संस्मरण....सुन्दर अभिव्यक्ति.
सच है
पढकर आंखे डबडबा गईं
आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को दिवाली की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
आपको धनतेरस और दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
आखिर माँ का दिल जो ठहरा। आपको, परिजनों और मित्रों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!
शुभ दीपावली,
गद्य में पद्य जैसी गहराई.
दीपोत्सव की शुभकामनायें.
आह!
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